आखिरकार वो दिन आ ही गया जब किसानो को उनका हक और न्याय मिल ही गया क्योंकि अब की बार मोदी सरकार ने किसानो के हितो और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए इस दिशा में किसानो के पक्ष में बहुत ही अहम् फैसला किया है. किसानो के लिए राहत और खुशियों की सौगात लेकर आई है मोदी सरकार. यदि वर्तमान समय की बात करे तो किसानो को ९ प्रतिशत की दर पर कर्ज मिलता है लेकिन मोदी सरकार ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया. पता नहीं कितनी सरकारें आई और चली गई लेकिन किसानो के हितों के बारे में किसी भी सरकार ने सोचना तो दूर उनकी दयनीय स्थिति को किसी भी सरकार ने देखना तक जरूरी नहीं समझा. बेचारा किसान दिन रात मेहनत कर के देश के लोगो के लिए अन्न उगाता है और उसी किसान की हालत इतनी शोचनीय हो गई है की वो बेचारा कर्ज ना चुका पाने की स्थिती में मौत को गले लगा लेता है. कितनी शर्म की बात है की जिस देश का किसान इतनी मेहनत कर के देशवासियों के लिए अनाज पैदा करता है उसी किसान को भूख, कर्ज और गरीबी के बोझ तले दबना पड़ता है.
लेकिन अब किसी भी किसान को असमय मरना नहीं पड़ेगा. अब किसानो को मात्र ४ प्रतिशत ब्याज की दर पर कर्ज दिया जाएगा और बाकि का ५ प्रतिशत ब्याज सरकार चुकाएगी. केंद्र सरकार के इस सराहनीय कदम ने हमारे किसान भाइयो के जीवन में एक नवीन आशा का संचार किया है. लेकिन सरकार द्वारा शुरू की गई ये योजना सिर्फ एक साल के कर्ज के लिए ही है और इस योजना का लाभ किसान भाई ३ लाख तक के कर्ज पर ही उठा पायेंगे. हालांकि किसानो को कम ब्याज दर पर सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने की मांग तो काफी समय से चली आ रही है लेकिन इस साल इस योजना को अंतिम रूप दे ही दिया गया है और ये संभव हुआ है सिर्फ और सिर्फ माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा.
इस योजना में मोदी सरकार तकरीबन १९००० करोड़ खर्च करने की योजना बना रही है. इस योजना से हमारे किसान भाइयों को एक नया जीवनदान मिलेगा. इस योजना को आरबीआई और नाबार्ड के द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा. पिछले कुछ समय से देश हमारे किसान भाइयों की असमय मृत्यु की समस्या से जूझ रहा है और कोई भी ये नहीं समझ पा रहा था कि इस समस्या से कैसे निपटा जाए ? काफी समय से बुद्धिजीवी वर्ग द्वारा सुझाया जा रहा था कि किसानो की आत्महत्याओं को रोकने का एक ही तरीका है और वो है कर्जमाफी. हम बचपन ये सुनते आ रहे है कि भारत एक कृषिप्रधान देश है लेकिन इस कृषिप्रधान देश में ही किसानो की हालत बहुत बदतर हो चुकी है. हालंकि हजारो करोडो के कर्ज को माफ़ करना इतना आसान भी तो नहीं है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था भी तो देखना है इसीलिए ४ प्रतिशत की ब्याज दर पर सस्ते कर्ज की योजना का अनुमोदन किया जा रहा है.
अब तो देश के कोने कोने से भी कर्जमाफी और सस्ते कर्ज की मांग उठने लगी है और जगह जगह पर किसान आन्दोलन किये जा रहे है. हालांकि इन सब की जिम्मेदार कुछ हद तक तो सरकार की नीतियाँ भी रही है. किसान ये सोच कर बैंकों से कर्ज लेता है कि फसल अच्छी होगी तो ऊँचे ब्याज पर लिया गया कर्ज मूलधन के साथ तय समय सीमा पर लौटा देगा लेकिन बदलते मौसम पर किसी का भी बस नहीं होता है. असमय की बारिश, सूखे की मार, ओलावृष्टि से फसल बर्बाद हो जाती है और फसल के साथ साथ किसान का जीवन भी बर्बाद हो जाता है. कितनी अजीब बात है न कि विजय माल्या जैसा प्रतिष्ठित व्यक्ति बैंक से धोखाधड़ी कर के ९००० करोड़ रूपए लेकर इस देश से भाग जाता है और इंग्लेंड की अदालत से सबूतों के अभाव में उसे ज़मानत भी मिल जाती है और हमारे देश का किसान बेचारा कर्ज न चुका पाने की स्थिति में मौत को गले लगा लेता है.
बहरहाल सभी मुद्दों को विराम देते हुए उम्मीद तो यही की जा रही है कि मोदी सरकार का ये कदम हमारे किसान भाइयो को जीने की वजह देगा और ज्यादा से ज्यादा किसान भाई इस योजना से लाभ उठा पायेंगे.`