मुंशी प्रेमचंद  – उपन्यासों का सम्राट का साहित्य परिचय

प्रेमचंद का साहित्य परिचय

प्रेमचंद को उनकी कहानियों और उपन्यासों के लिए जाना जाता है. उन्हें हिंदी और उर्दू के लेखकों में एक महानतम लेखक का दर्जा प्राप्त है. उनका असली नाम तो धनपत राय है लेकिन हिंदी साहित्य जगत में उनके प्रशंसकों और चाहने वालों ने उन्हें नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से नवाज़ा है. आपने अपने जीवनकाल में कई रोचक और दिल को छु जाने वाले उपन्यासों का लेखन किया है और उनके इस योगदान को देखते हुए ही बंगाल के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें “उपन्यासों का सम्राट” से संबोधित किया है.

मुंशी प्रेमचंद  जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी के निकट लमही नामक गांव में हुआ था. आपकी माता का नाम आनंदी देवी और पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो कि लमही गांव के एक डाकखाने में मुंशी थे. बचपन में ही माता-पिता का देहांत हो जाने के कारण आपका प्रारंभिक जीवन बहुत ही संघर्षमय रहा था. सन १८९८ में मैट्रिक की परीक्षा पास कर एक स्थानीय विद्यालय में शिक्षक के पद पर नियुक्त हो गए. आपने नौकरी करते हुए भी अपनी पढाई-लिखाई जारी रखी. सन १९१० में आपने अंग्रेजी, दर्शनशास्त्र, फारसी और इतिहास विषय लेकर इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की. इसके साथ ही आपने सन १९१९ में बी.ए. पास कर शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए.

मुंशी प्रेमचंद का विवाह

आपने दो विवाह किये थे. आपका पहला विवाह बाल विवाह था जो कि पंद्रह वर्ष की अवस्था में हुआ था परन्तु आपका पहला विवाह सफल नहीं रहा था. आप आर्य-समाज से बेहद प्रभावित थे जो कि उस कालखंड का बहुत बड़ा धार्मिक और सामजिक आन्दोलन था. आपने विधवा विवाह का समर्थन किया और इसी के फलस्वरूप आपने सन १९०६ में एक बाल विधवा शिवरानी देवी से दूसरा विवाह किया.

मुंशी प्रेमचंद का कार्यक्षेत्र

आपको आधुनिक हिंदी कहानी का पितामह भी कहा जाता है. चूँकि आपका जीवन बहुत ही कठिनाइयों में गुज़रा है फिर भी आपने अपने आखिरी समय तक हार नहीं मानी. आप अपने अंतिम क्षणों तक कुछ न कुछ करते ही रहे है. आपने हिंदी ही नहीं बल्कि उर्दू में भी अपने जादुई और ममस्पर्शी लेखन से हिंदी साहित्य जगत में अपनी एक अमूल्य और अमिट छाप छोड़ी है.

  • आपने स्वतंत्रता आन्दोलन के लिए कई सारी कविताएं भी लिखी है. लमही गांव छोड़ने के पश्चात् आप चार साल तक कानपुर में रहे और वही रहते हुए आपने एक पत्रिका के लिए कई लेख और कहानियाँ भी लिखी है.
  • आपने अपनी पत्नी की सलाह पर सन १९२१ में अपनी सरकारी नौकरी से से इस्तीफ़ा दे दिया और अपनी रूचि के अनुसार उपन्यास, कहानियां और कविताये लिखने लगे.
  • आपने मुंबई जाकर सिनेमा जगत के लिए भी कई सारी स्क्रिप्ट लिखी लेकिन सिनेमा जगत में आपको आशानुरूप न तो सफलता मिली और न ही उन स्क्रिप्ट पर फिल्मे बन पाई बल्कि उल्टा उन्हें नुक्सान ही उठाना पड़ा.

मुंशी प्रेमचंद की रचनाये

मुंशी प्रेमचंद जी की तो सभी रचनाये अनमोल है. हम यहाँ पर उनकी कौन सी रचना का उल्लेख करे और कौन सी का नहीं ये तो हमारी समझ के भी परे है. परन्तु फिर भी गोदान, कफ़न, गबन, ईदगाह, शतरंज के खिलाड़ी, प्रतिज्ञा, निर्मला, प्रतिज्ञा इत्यादि उनकी कालजयी रचनाये है.

मुंशी प्रेमचंद कि मृत्यु

अपने जीवन के अंतिम क्षणों में मुंशी प्रेमचंद जी गंभीर रूप से बीमार हो गए थे. उस समय वह मंगलसूत्र उपन्यास की रचना कर रहे थे परन्तु बीमारी के चलते उपन्यास पूरा नहीं हो सका और ०८ अक्टूबर सन १९३६ को उनका निधन हो गया. निधन के पश्चात् आपका अंतिम उपन्यास “मंगलसूत्र” आपके पुत्र अम्रृत ने पूरा किया.

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