हर किसी के जीवन पर उसके आसपास के वातावरण और माहौल का पूरा असर पड़ता है। एक सर्वे में ये सामने आया है कि जिन राज्यों में प्रदुषण कम है और राज्य का माहौल जीवन के अधिक अनुकूल है वहां पर महिला और पुरुष दोनों का जीवन लंबा होता है। यदि भारत के अलग-अलग राज्यों में लोगों के जीवन की तुलना करें तो ये चीजें अधिक स्पष्ट नजर आती है।
भारत में जन्म के लिए जीवन प्रत्याशा 1970-75 में 49.7 मानी जाती थी तो साल 2013-17 में बढ़कर 69 साल हो गई, जो पिछले चार दशकों में 19.3 साल की वृद्धि दर्ज की गई। यधपि आधी सदी पहले महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए जीवन प्रत्याशा अधिक थी, लेकिन यह प्रवृत्ति 1981-85 से उलट हो गई। भारत अब इस संबंध में ग्लोबल पैटर्न के अनुरूप है। साल 2013-17 में, पुरुषों के लिए 67.8 साल की तुलना में महिला जीवन प्रत्याशा 70.4 साल थी।
बिहार और झारखंड में पुरुष महिलाओं को छोड़ रहे पीछे
इस डेटा से ये भी पता चलता है कि भारत में बिहार और झारखंड ही एकमात्र राज्य है जहां औसत जीवन के मामले में पुरुष महिलाओं को पीछे छोड़ देते हैं। केरल एकमात्र ऐसा राज्य है जिसमें गांव के रहने वाले शहर में रहने वालों से अधिक जीवन जीते हैं। एक बच्चा जो 1 वर्ष की आयु तक जीवित रहता है, वह भारत के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में जम्मू और कश्मीर में लंबे समय तक जिंदा रहने की उम्मीद कर सकता है। जनगणना और रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय द्वारा जारी किए गए डेटा से यह भी पता चलता है कि भारत में बिहार और झारखंड एकमात्र ऐसे राज्य हैं, जहां औसतन पुरुष महिलाओं को पछाड़ते हैं जबकि केरल एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसमें गांव के लोग अपने शहरी लोगों को इस मामले में पीछे छोड़ देते हैं।
जम्मू-कश्मीर और पंजाब में अधिक जीते हैं लोग
कोई भी व्यक्ति औसतन 10 साल की उम्र से 40 साल की उम्र में बहुत अधिक बदलाव की उम्मीद नहीं कर सकता है। हालांकि, 60 साल तक जीवित रहने वाले लोग 78 साल तक जीने की उम्मीद कर सकते हैं और 70 साल तक जीने वाले लोग 81.5 साल तक जीने की उम्मीद कर सकते हैं। ये भारत के लिए औसत जीवन प्रत्याशा के आंकड़े हैं लेकिन राज्यों में इनकी संख्या काफी भिन्न है। जम्मू-कश्मीर में जीवन प्रत्याशा सबसे अधिक 85 साल पाई गई जबकि पंजाब में ये एक साल कम यानी 84 साल ही पाई गई है। स्पेक्ट्रम के दूसरे छोर पर, छत्तीसगढ़ में अब औसम उम्र 79 वर्ष तक है।