जैसा कि आपको मालूम है कि हाल ही में बीजेपी सरकार ने CAB (citizenship Amendment bill 2019) यानी नागरिकता संशोधन बिल 2019 पेश किया था। इस बिल को लोकसभा और राज्यसभा द्वारा मंजूरी मिल चुकी है साथ ही इस पर राष्ट्रपति ने भी इस विधेयक पर साइन कर दिए हैं, जिसके बाद कैब एक कानून बन चुका है। लेकिन अभी भी बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्हें CAB के बारे में पता नहीं है कि यह क्या है, citizenship Amendment bill 2019 के अंतर्गत कौन सा संशोधन किया गया है, इस कानून के आधार पर किन लोगों को नागरिकता मिलेगी और किसे नहीं, नागरिकता अधिनियम 1955 (Citizenship Act 1955 ) क्या है? , CAB से जुड़े अब तक के सभी अहम बिंदू क्या हैं? चलिए जानते हैं कि इस विधेयक के क्या असली मतलब क्या है?
सीएबी (CAB) (Citizenship Amendment Bill 2019) क्या है?
नागरिकता संशोधन विधेयक के अंतर्गत सरकार ने तीन देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) से भारत में आकर रहने वाले विदेशियों को नागरिकता देना का फैंसला किया है। इस विधेयक के मुताबिक इन देशों से भारत में आकर रहने वाले अल्पसंख्यक यानी पारसी, सिख, बौध्द, ईसाई, जैन और हिन्दू 6 समुदायों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। इस विधेयक (जो कि अब कानून बन चुका है) की माने तो 5 साल के अंदर ही इन शरणार्थिओं को भारत की नागरिकता दे दी जाएगी।
Citizenship Act 1995 क्या है?
नागरिकता कानून 1995 में सशोधन करके ही सीएबी कानून बनाया गया है। पहले कि सरकार ने शरणार्थियों को नागरिकता देने की अवधि 11 साल रखी थी। हालांकि CAB के मुताबिक यह समय सीमा घटकर 5 साल रह गयी है।
CitizenShip देने की कट ऑफ तारिख क्या तय की गयी
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान इन तीनों देशों के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए Cutt off Date 31 दिसंबर 2014 रखी गयी है। इस तारिख से उनके (Foreigners) सालों की गिनती की जाएगी। बता दें कि जिस भी व्यक्ति को भारत में रहते हुए पांच साल हो जाएंगे, उनको Citizenship दे दी जाएगी।
मुस्लिम समुदाय को नहीं दी जाएगी नागरिकता (Citizenship)
इस विधेयक के अनुसार पांच समुदायों को तो नागरिकता देना का फैंसला सुनाया गया है, लेकिन मुस्लिम समुदाय को इस बिल में शामिल नहीं किया गया है। जिस वजह से मुस्लिम समुदाय भड़क गया है, और गुस्से से आग -बबूला होकर प्रदर्शन कर रहा है। यहां तक कि कुछ लोगों का तो यह कहना है कि यह कानून धर्म को आधार रखकर बनाया गया है। जबकि सरकार कहना है कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं। उनका कहना है कि यह कानून अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने के लिए बनाया गया है।
अल्पसंख्य समुदाओं की रक्षा करना है CAB कानून का असली उद्देश्य
सरकार का कहना हैं कि इस कानून का लक्ष्य किसी धर्म के लोगों को ठेस पहुंचाना या भेदभाव की दृष्टि से देखना नहीं हैं। यह विधेयक मुस्लिम के हितों को आहत नहीं करेगा। इस विधेयक का असली मकसद हिन्दू, सिख, पाससी, बौध्द, जैन, ईसाईयों पर हो रहे अत्याचारों से उनको बचाना है। जैसे कि सभी भलीभांति जानते हैं कि यह तीनों ही मुस्लिम प्रधान देश हैं। यही वजह कि मुस्लिमों को नागरिकता प्रदान नहीं की जा रही है।
जानिए Citizenship Amendment Bill 2019 से जुड़े अब तक के सभी अहम बिंदू (Points)क्या हैं-
आपको बता दें कि बीजेपी ने अपने Manifesto में यह वादा किया था कि वह नागरिकता कानून में संशोधन करेगी।
इसलिए पहली बार CAB को साल 2019 में पेश किया गया था।
उस समय के CAB प्रस्ताव के अनुसार भारत में रहने वाले गैर-नागरिकों को नागरिकता देने की समय सीमा 7 साल रखी गयी थी।
लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इस बिल को लोकसभा में तो पास कर दिया गया लेकिन राज्यसभा से इसे मंजूरी नहीं मिली।
जिसके बाद साल 2019 के शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को एक बार फिर से पेश किया गया, इस बार इस बिल को लोकसभा, राज्यसभा समेत राष्ट्रपति की मंजूर प्राप्त हो गई। अब यह विधेयक नहीं है, बल्कि एक कानून बन चुका है।
आशा करते हैं कि आपको नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को समझने में काफी सहायता मिली होगी। आपको हमारा यह पोस्ट कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं।