बनारस यहाँ के घाटों के लिए गंगा के लिए,यहां के मन्दिरों के लिए, साड़ी के लिए, और बनारसी पान के लिए मशहूर है। लेकिन इन सबके अलावा बनारस की गलियां इस शहर को अलग बनाती हैं, हम आप को बनारस के बारे में कुछ ऐसी रोचक जानकारियां देने जा रहे है जो बनारस के रहने वाले भी नहीं जानते होंगे :
1. वाराणसी का नाम यहां की दो स्थानीय नदियों वरुणा नदी एवं असि नदी के नाम से मिलकर बना है। इन दोनों नदियों का संगम गंगा में उत्तर और दछिण दिशा में होता है यह शहर गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है, गंगा का बनारस से गहरा नाता है, कहते है की यह २००० साल पुराना शहर है जिसे आर्यों ने बसाया था
2. बनारस की प्रमुख भाषा काशिका भोजपुरी है, यह हिंदी की ही एक बोली है |
4. गौतम बुध (बौद्ध धर्म ) से सम्बंदित 4 धामों में से एक यहाँ पर है, गौतम बुध ने अपना पहला उपदेश यही सारनाथ में दिया था |
5. काशी की वनारसी और सिल्क की साड़ियों और पीतल के सामान विश्व प्रसिद्ध है , यहाँ के साड़ियों की मांग पुरे विश्व में है | इसके अलावा रेशमी वस्त्र, कालीन, काष्ठ शिल्प, भित्ति सज्जा एवं प्रदीपन आदि के सामान के साथ-साथ बौद्ध एवं हिन्दू देवी-देवताओं के मुखौटे विशेशः आकर्षण रहे हैं।
6. वनारस को गलिओं का शहर भी कहते है, दसवसुमेर घाट की गालियाँ, खोया गली, कचैड़ी गली, लोहा गली, गोदोलीअा की संकरी गालियाँ प्रमुख है | बनारस की हर गली अपने आप में खास है चाहे वो खोया गली हो, कचैड़ी गली हो या लोहा गली। गोला गली यह बनारस की ऐसी गली है जहां हर तरह की मेवा और मसाले मिलते हैं|
7. वनारस को घाटों का शहर भी कहते है , यहाँ पर लगभग 100 घाट है , जिसमे हरिश्चंद घाट, दससुमेर घाट , मरकंडिका घाट अशी घाट प्रमुख है, यहाँ के प्रमुख घाटों ली लिस्ट नीचे है
- अस्सी घाट
- गंगामहल घाट
- रीवां घाट
- तुलसी घाट
- भदैनी घाट
- जानकी घाट
- माता आनंदमयी घाट
- जैन घाट
- पंचकोट घाट
- प्रभु घाट
- चेतसिंह घाट
- अखाड़ा घाट
- निरंजनी घाट
- निर्वाणी घाट
- शिवाला घाट
- गुलरिया घाट
- दण्डी घाट
- हनुमान घाट
- प्राचीन हनुमान घाट
- मैसूर घाट
- हरिश्चंद्र घाट
- लाली घाट
- विजयानरम् घाट
- केदार घाट
- चौकी घाट
- क्षेमेश्वर घाट
- मानसरोवर घाट
- नारद घाट
- राजा घाट
- गंगा महल घाट
- पाण्डेय घाट
- दिगपतिया घाट
- चौसट्टी घाट
- राणा महल घाट
- दरभंगा घाट
- मुंशी घाट
- अहिल्याबाई घाट
- शीतला घाट
- प्रयाग घाट
- दशाश्वमेघ घाट
- राजेन्द्र प्रसाद घाट
- मानमंदिर घाट
- त्रिपुरा भैरवी घाट
- मीरघाट घाट
- ललिता घाट
- मणिकर्णिका घाट
- सिंधिया घाट
- संकठा घाट
- गंगामहल घाट
- भोंसलो घाट
- गणेश घाट
- रामघाट घाट
- जटार घाट
- ग्वालियर घाट
- बालाजी घाट
- पंचगंगा घाट
- दुर्गा घाट
- ब्रह्मा घाट
- बूँदी परकोटा घाट
- शीतला घाट
- लाल घाट
- गाय घाट
- बद्री नारायण घाट
- त्रिलोचन घाट
- नंदेश्वर घाट
- तेलिया- नाला घाट
- नया घाट
- प्रह्मलाद घाट
- रानी घाट
- भैंसासुर घाट
- राजघाट
- आदिकेशव या वरुणा संगम घाट
7. काशी विश्वनाथ मंदिर, शीतला मंदिर ,अन्नपूर्णा मंदिर, ढुंढिराज गणेश, काल भैरव, दुर्गा जी का मंदिर, संकटमोचन, तुलसी मानस मंदिर, नया विश्वनाथ मंदिर (जो की BHU परिसर में है ), भारतमाता मंदिर, संकठा देवी मंदिर व विशालाक्षी मंदिर यहाँ के प्रमुख मंदिर है |
8. भगवान शंकर के १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग काशी में है जिन्हे बाबा विष्वनाथ के नाम से जाना जाता है | सन 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्करद द्वारा बनवाया गया था।यह मंदिर दशाश्वमेध घाट के निकट ही स्थित है।
10. बनारस का पान पुरे भारत में बहुत प्रशिद्ध है, यहाँ के पान का जिक्र कई हिंदी मूवी में मिलता है (खइके पान बनारस वाला )
11. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना 1916 में पं.मदन मोहन मालवीय ने एनी बेसेंट के सहयोग से की थी। इसका एरिया 1350 एकड़ (5 .5 वर्ग कि॰मी॰)परिसर में फैला है, जो की काशी नरेश द्वारा दान की गई भूमि पर बना है।
12. बनारस का द्वीप दिवाली बहुत प्रसिद्ध है, जिसमे देश विदेश के प्रसिद्ध कलाकार आकर अपने कलाओ से सबका मनोरंजन करते है |
13.अगर बनारस की गंगा आरती की चर्चा न की जाय, तो आप ने यहाँ की शाम नहीं देखी है, बनारस को हिन्दुवों का पवित्रतम नगर बताया गया है। यहां प्रतिवर्ष 10 लाख से अधिक तीर्थ यात्री आते हैं। शाम के समय यहाँ के घाटों को छोर कर जाने का मन नहीं करता है
14. रामनगर की रामलीला पुरे भारत में बहुत प्रसिद्ध है जिसमे रामचरितमानस की कथा के अनुसार भगवान श्रीराम के जीवन की लीला का मंचन होता है।रामलीला का मंचन काशी नरेश द्वारा कराया जाता है , और यह 1 महीने तक प्रत्येक शाम को रामनगर में होता है, महाराजा उदित नारायण सिंह ने रामलीला का आयोजन 19 शताब्दी के मध्य में शुरू किया था
15. बनारस घराना 6 प्रसिद्ध संगीत के घरानो में से एक है , जिसे पंडित राम सहाय ने अपने पिता के साथ लगभग २०० वर्ष पूर्व शुरू किया था जिसे बनारस-बाज कहते हैं।
16. कहते है की गंगा नदी सबके पाप हारती है, आदर यहाँ मृत्यु मिल जाया तो मोछ मिल जाता है
17. 51 शक्तिपीठ में से एक विशालाक्षी मंदिर बनारस में स्थित है, जहां देवी सती की कान की मणिकर्णिका गिरी थी। स्थान मणिकर्णिका घाट के निकट स्थित है
18. जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने हिन्दू धर्म पर अपनी टीका यही पर आ कर लिखी थी, जिसके बाद हिन्दू धरम का पुनर्जागरण हुआ था |
19. वाराणसी हिन्दुओं एवं बौद्धों के अलावा जैन धर्म के अवलम्बियों के लिए भी प्रसिद्ध है, भगवन महावीर का जन्म यही हुआ था
20. दुर्गा मंदिर, जिसे मंकी टेम्पल भी कहते हैं: – यहाँ पर बंदरो की अधिकता के कारण इसे Monkey Temple भी कहते है
21. 7 मार्च 2006 को पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा बनारस में हुए तीन विस्फोटों में से एक संकट मोचन मंदिर में आरती के समय हुआ था।
22. व्यास मंदिर, रामनगर – यह मंदिर बनारस शहर के बहार है, कहा जाता है जब एक बार वेद व्यास जी को काशी नगर में कहीं दान-दक्षिणा नहीं मिल पाया , तो वह पूरे नगर को श्राप देने लगे।इसके तुरंत बाद ही भगवान शिव एवं माता पार्वती एक दम्यपति रूप में एक घर से निकले और उन्हें भरपूर दान दक्षिणा दी। इससे ऋषि व्यास अति प्रसन्न हुए और श्राप की बात भूल गये। इसके बाद भगवान शिव ने व्यासजी का काशी में प्रवेश निषेध कर दिया। इस बात के समाधान रूप में व्यासजी ने गंगा के दूसरी ओर आवास किया, जहां रामनगर में उनका मंदिर अभी भी मिलता है
23. बनारस ने भारत और विश्व को कई महान विभूतियाँ दी है जिसमें कबीर दास जी , वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था |
काशी में प्राचीन काल से समय समय पर अनेक महान विभूतियों का वास यहाँ रहा है इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
• महर्षि अगस्त्य
• धन्वंतरि
• गौतम बुद्ध
• संत कबीर
• अघोराचार्य बाबा कानीराम
• लक्ष्मीबाई
• पाणिनी
• पार्श्वनाथ
• पतञ्जलि
• संत रैदास
• स्वामी रामानन्दाचार्य
• वल्लभाचार्य
• शंकराचार्य
• गोस्वामी तुलसीदास
• महर्षि वेदव्यास
• वल्लभाचार्य
23. वर्त्तमान काल के कुछ महान विभूतिया
• मदन मोहन मालवीय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक
• लाल बहादुर शास्त्री, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री
• बिस्मिल्लाह खां, शहनाईवादक, भारत रत्न
• कृष्ण महाराज, तबला वादक, पद्म विभूषण
• रवि शंकर, सितारवादक, भारत रत्न
• सिद्धेश्वरी देवी, खयालगायिका
• विकाश महाराज, सरोद के महारथी
• नैना देवी, खयाल गायिका
• भगवान दास, भारत रत्न
• समता प्रसाद (गुदई महाराज) तबला वादक, पद्मश्री
• जय शंकर प्रसाद – हिंदी साहित्यकार)
• प्रेमचंद – हिंदी साहित्यकार
• भारतेंदु हरिश्चंद्र – हिंदी साहित्यकार
वाराणसी रेलवे स्टेशन से महज 3 km की दुरी पर शिवदासपुर का इलाका रेडलाइट इलाके के रूप में पुरे उत्तर प्रदेश में सबसे जयादा फेमस है । ये भी कह सकते है की ये उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा RED LIGHT एरिया है , इसी तरह यहाँ का दाल मंडी इलाका भी इसी कारण से फेमस है , यहाँ की तंग गलियों में खड़ी लड़किया कस्टमर्स को ऐसे रिझाती है जैसे पुरानी फिल्मों में दिखाया जाता है
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