अयोध्या में पीएम मोदी ने जो लगाया पारिजात का पौधा, जानिए इसकी खासियत और मान्यताएं

0
parijaat

नई दिल्ली। भारत के 130 करोड़ से अधिक लोगों के लिए बुधवार 5 अगस्‍त का दिन बेहद खास बन गया है। खास इसलिए क्‍योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अयोध्‍या में श्री राम के भव्‍य और विशाल मंदिर की आधारशिला रखने के लिए भूमि पूजन संपन्‍न किया दुल्‍हन की तरह सजाई गई अयोध्‍या की रंगत आज बेहद खास है।

 

pm parijaat

बीती रात यहां पर लाखों दीप प्रज्‍वलित कर दीपावली मनाई गई थी। आज के इस खास और पावन अवसर पर कई गणमान्‍य लोग इस पल के साक्षी बने हैं। या यूं कहा जाए आज का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।

parijaat
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के प्रांगण में पारिजात का पौधा भी लगाया है।आखिर क्या है इस पौधे का महत्व और खासियत जिसकी वजह से इसे भूमि पूजन समारोह का हिस्सा बनाया गया। आइए जानते हैं इस दिव्य वृक्ष के बारे में…
ये पौधा कोई सामान्‍य पौधा नहीं है। इस पौधे के बारे में कहा जाता है कि पारिजात वृक्ष को देवराज इंद्र ने स्वर्ग में लगाया था। इस पर आने वाले सफेद फूल सफेद रंग के फूल आते हैं जो छोटे होते हैं। इस पर आने वाले फूल भी अन्‍य फूलों से अलग होते हैं। ये फूल रात में खिलते हैं और सुबह पेड़ से खुद ही झड़ कर नीचे गिर जाते हैं। आपको बता दें कि परिजात पौधे पर आने वाला फूल पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प भी है।

parijaat
पारिजात का पेड़ बहुत खूबसूरत होता है। पारिजात के फूल को भगवान हरि के श्रृंगार और पूजन में प्रयोग किया जाता है, इसलिए इस मनमोहक और सुगंधित पुष्प को हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में इस वृक्ष का बहुत महत्व माना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि पारिजात को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है।
इस वृक्ष को लेकर हिंदू धर्म में कई तरह की मान्यताएं हैं। इनके मुताबिक धन की देवी लक्ष्मी को पारिजात के फूल बेहद प्रिय हैं। मान्‍यता ये भी है कि लक्ष्‍मी की पूजा करने के दौरान यदि उन्‍हें ये फूल चढ़ाए जाएं तो वो बेहद प्रसन्न होती हैं। लेकिन पूजा के लिए परिजात के लिए उन्‍हीं फूलों का इस्‍तेमाल किया जाता है जो खुद ही झड़कर नीचे जमीन पर गिर जाते हैं। इन फूलों को पेड़ से तोड़कर पूजा में नहीं चढ़ाया जाता है।

parijaat
पारिजात का वृक्ष ऊंचाई में दस से पच्चीस फीट तक का होता है। इसके इस वृक्ष की एक खास बात ये भी है कि इसमें बहुत बड़ी मात्रा में फूल लगते हैं। एक दिन में इसके कितने भी फूल तोड़े जाएं, अगले दिन इस फिर बड़ी मात्रा में फूल खिल जाते हैं। यह वृक्ष खासतौर से मध्य भारत और हिमालय की नीची तराइयों में अधिक उगता है।
हिंदू मान्‍यताओं के मुताबिक परिजात के पौधे के फूलों से भगवान हरि का श्रृंगार भी होता है। कहा जाता है कि द्वापर युग में स्वर्ग से देवी सत्यभामा के लिए भगवान श्रीकृष्ण इस पौधे को धरती पर लाए थे। यह देव वृक्ष है जो समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था। 14 रत्नों में यह एक विशिष्ट रत्न रहा है। कहा जाता था कि इस पेड़ को छूने मात्र से इंद्रलोक की अपसरा उर्वशी की थकान मिट जाती थी। पारिजात धाम आस्था का केंद्र है। सावन माह में यहां श्रद्धालुओं का मेला लगता है। महाशिवरात्रि व्रत पर यहां कई जिलों से श्रद्धालु जल चढ़ाने पहुंचते हैं।

parijat tree
बाराबंकी जिले के पारिजात का वृक्ष को महाभारतकालीन माना जाता है जो लगभग 45 फीट ऊंचा है। मान्यता है कि परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी, जिसे इन्द्र ने अपनी वाटिका में लगाया था। कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान माता कुंती ने पारिजात पुष्प से शिव पूजन करने की इच्छा जाहिर की थी। माता की इच्छा पूरी करने के लिए अर्जुन ने स्वर्ग से इस वृक्ष को लाकर यहां स्थापित कर दिया था। तभी से इस वृक्ष की पूजा अर्चना की जाती रही है।
पारिजात अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। हर दिन इसके एक बीज के सेवन से बवासीर रोग ठीक हो जाता है। इसके फूल हृदय के लिए भी उत्तम माने जाते हैं। इनके फूलों के रस के सेवन से हृदय रोग से बचा जा सकता है। इतना ही नहीं पारिजात की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर खाने से सूखी खांसी भी ठीक हो जाती है। पारिजात की पत्तियों से त्वचा संबंधित रोग ठीक हो जाते हैं। आपको बता दें कि परिजात की तरह ही यहां पर बनने वाले श्री राम मंदिर की अपनी एक खास अहमियत है। आज के इस दिन को लेकर सोशल मीडिया पर लोग सभी देशवासियों को इस दिन के लिए बधाई दे रहे हैं।

Comments

comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here