कैफ़े कॉफ़ी डे के बारे में आज कौन नहीं जानता है. दोस्तों कैफ़े कॉफ़ी डे आज किसी भी परिचय का मोहताज़ नहीं है. कैफ़े कॉफ़ी डे आज युवाओ के एक बहुत बड़े वर्ग की पहली पसंद बन चुका है. कैफ़े कॉफ़ी डे को बहुत ही जल्दी युवाओं के साथ साथ बच्चो और बूढों ने भी आसानी से स्वीकार कर लिया है क्योंकि ये बहुत महंगा भी नहीं है और सभी के लिए आसानी से सुलभ भी है. आपको बताते चले कि बिदिशा नागराज कैफ़े कॉफ़ी डे की मार्केटिंग प्रेसिडेंट है.
भारत में कैफ़े कॉफ़ी डे की स्थापना 19 जुलाई सन 1996 बेंगलुरु, कर्णाटक में हुई थी जो कि कॉफ़ी के क्षेत्र में सबसे ज्यादा उभरती हुई कंपनी बन चुकी है जो कि पुरे विश्व में सफलतापूर्वक अपना कारोबार कर रही है.
यद्यपि जनसँख्या के लिहाज़ से देखा जाए तो इसमें हमें हर वर्ग और हर उम्र के उपभोक्ता देखने को मिल जाते है चाहे वो युवाओं का वर्ग हो जिनकी आयु १५ से २९ वर्ष होती और उनमे उच्च और मध्यम वर्गीय युवा उपभोक्ता भी शामिल होते है या फिर वो उपभोक्ता भी होते है जो कि दिल से युवा होते है. कैफ़े कॉफ़ी डे में आपको हमेशा एक अच्छी गुणवत्ता की कॉफ़ी और खाना मिलता है जो कि बहुत किफायती भी होता है. यही वजह है कि युवाओं के बहुत बड़े वर्ग द्वारा इसे आसानी से स्वीकार कर लिय गया है. यही वजह है कि ये ब्रांड आज दुनिया भर में एक जाना माना ब्रांड बन चुका है. सुदीप्ता सेन गुप्ता कैफ़े कॉफ़ी डे की मार्केटिंग हेड है.
कैफ़े कॉफ़ी डे की भारत में एक बहुत ही प्रतिष्ठित और प्रमाणिक छवि बन चुकी है. सन 2008 के सर्वे में इस ब्रांड को सबसे ज्यादा भरोसेमंद ब्रांड का दर्जा भी हासिल हो चुका है. भारत के ब्रांड इक्विटी में कैफ़े कॉफ़ी डे को नंबर २ की रैंकिंग भी मिली है. कैफ़े कॉफ़ी डे की ये विशिष्टता है कि वो भारतीय उपभोक्ताओं के बीच एक स्वस्थ सम्बन्ध बनाने में पूरी तरह से सक्षम है मुख्य रूप से युवाओं के बीच में.
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कैफ़े कॉफ़ी डे को सीसीडी के नाम से भी एक अलग ही पहचान हासिल हुयी है. सीसीडी भारतीय बाज़ार में एक अग्रणी उत्पाद है और आइसीआइसीआइ बैंक के द्वारा सन 2005 में सीसीडी को सुनियोजित फुटकर बाज़ार के क्षेत्र में सबसे विशिष्ट फुटकर ब्रांड का अवार्ड भी दिया जा चुका है.
सीसीडी के पास अपना खुद का एक बहुत ही बड़ा नेटवर्क है जिससे कि ये ब्रांड कई सारे ब्रांड्स की मौजूदगी में स्वयं को एक विशुद्ध ब्रांड बनाने में सक्षम हुआ है. सीसीडी के अभी वर्तमान में 620 कैफ़े है और इस वित्तीय वर्ष के अंत तक तकरीबन 9०० कैफेस और बाज़ार में लाने की योजना है. सीसीडी के लिए कोई भी आश्चर्य की बात नहीं है कि वो हर दुसरे दिन एक नए स्टोर को बाज़ार में उतार रहा है जिसने सन 2005 में वियना से शुरुआत की थी जो कि विश्व में कॉफ़ी की राजधानी मानी जाती है. वियना में सीसीडी के और भी तीन शाखाएं है जबकि दो कराची, पकिस्तान में है. भारतीय बाज़ार में सीसीडी अभी भी थोडा बहुत पिछड़ा हुआ है. बरिस्ता के पास २०० कैफेस है जबकि जावा ग्रीन की ७५ कैफेस और मोचा की करीब २५ कैफेस है. वैसे देखा जाये तो भारतीय संगठित क्षेत्र में तकरीबन ५००० केफेस की सम्भावना दिखती है लेकिन वर्तमान में तो कम से कम १००० केफेस ही विद्यमान है.
CCDएक ऐसा ऑफिस है जहाँ कॉफ़ी के साथ-साथ बातचीत भी हो जाती है. मार्च 2015 में 1530 स्टोर्स भारत के 21 राज्यों में खोले गए. CCD ने अपने अन्य स्टोर्स भी बाज़ार में उतारे है जैसे कि साधारण कॉफ़ी हाउस, बगीचा कॉफ़ी हाउस, बैठक कॉफ़ी हाउस और अभिव्यक्ति कॉफ़ी जो कि सफलतापूर्वक बाज़ार में अपनी पकड़ बनाये हुए है. सीसीडी ने विभिन्न क्षेत्रों में अपने स्टोर्स को सफलता के साथ शुरू किया जैसे कि हाईवे, माल्स, मल्टीप्लेक्सेज, ओफ़िसेस, रेलवे स्टेशन और शिक्षा संस्थानों में.
कैफ़े कॉफ़ी डे के मार्केटिंग हेड सुदीप्ता सेन गुप्ता का कहना है कि कॉलेज के दिनों में हमें सड़क के किनारे या फिर कैंटीन में ही कॉफ़ी पीकर संतुष्ट होना पड़ता था लेकिन आज के नवयुवक और नवयुवतियां एक शानदार और साफ-सुथरा परिसर चाहते थे जो कि हमारे माध्यम से उन्हें मिल रहा है.
यदि हम वर्तमान समय की बात करे तो आज दुनिया भर में कैफ़े कॉफ़ी डे के स्टोर्स सफलतापूर्वक अपना स्वयं का संचालन कर रहे है. कैफ़े कॉफ़ी डे के 1550० कैफेस का नेटवर्क 201 शहरों में फैल चुका है और इस प्रकार कैफ़े कॉफ़ी डे अपने समय के तमाम रेस्टोरेंट को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा फ़ूड कार्नर बन गया है. अंतर्राष्ट्रीय फ़ास्ट फ़ूड श्रृंखला जैसे कि मेकडोनाल्ड्स, डोमिनोस, सबवे आदि भी कैफ़े कॉफ़ी डे जैसे स्टोर्स बनते जा रहे है.
तो दोस्तों ये है कैफ़े कॉफ़ी डे (CCD) से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ जो कि हर कॉफ़ी प्रेमी को जानना जरूरी है. अब तो आप जान ही गए है कि कैफ़े कॉफ़ी डे आज दुनिया का कितना बड़ा ब्रांड बन चुका है.