उत्तर प्रदेश के गाँवों में इस समय ग्राम सभा का चुनाव होने वाला है। नए-नए मत देने के लिए काबिल बने लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल आते है कि कौन व्यक्ति ग्राम प्रधान बन सकता है, प्रधान बनने की पात्रता क्या है, प्रधान का काम क्या होता है, गाँव के लिए सरकार कितना फंड देती है, प्रधान को कितनी सैलरी मिलती है, प्रधान को पद से कैसे हटाया जा सकता है आदी। आज हम इन सब चीजों के बारें में बारी-बारी से जानेंगे।
उत्तर प्रदेश राज्य में कुल ग्राम पंचायत
सन्न 2011 की जनगणना के अनुसार 16 करोड़ की ग्रामीण आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कुल 59 हज़ार 163 ग्राम पंचायते है। औसतन एक ग्राम पंचायत में 2700 लोग रहते है। उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ग्राम प्रधान का चुनाव करवाता है। कोई भी प्रधान का प्रत्याशी में चुनाव में कितना खर्च कर सकता है यह भी राज्य निर्वाचन आयोग ही तय करता है।
ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने के लिए जरूरी योग्यता
- व्यक्ति जिस गाँव में प्रधानी का चुनाव लड़ रहा हो, वह उस गाँव का निवासी होना जरूरी है।
- उसकी उम्र 21 साल से ज्यादा होनी चाहिए।
- वह किसी सरकारी पद पर न कार्यरत हो।
- वोटर लिस्ट में उसका नाम हो
- अगर वह आरक्षित सीट से चुनाव लड़ रहा हो तो उसके पास उसका सर्टिफिकेट होना चाहिए।
- अलग-अलग राज्यों में ग्राम प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए अलग-अलग योग्यताएं होती है। मसलन कहीं पर दो बच्चे ज्यादा होने पर चुनाव नही लड़ने दिया जाता है।
कब आती है प्रधानी की सामान्य सीटें और एससी/एसटी सीटें
राज्य निर्वाचन आयोग गाँव की जनसँख्या के आरक्षित लोगों के अनुपात के अनुसार या रोस्टर व्यवस्था के अनुसार आरक्षित या सामान्य सीटों की घोषणा करता है। जिस वर्ग के लिए सीट निर्धारित होगी उसी वर्ग का व्यक्ति चुनाव में खड़ा हो सकता है और चुनाव लड़ सकता है।
उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन चुनाव आयोग के मुताबिक इस बार के चुनाव में प्रधान पद के प्रत्याशी को नामांकन पत्र के लिए 300 रूपये और 2000 रूपये की जमानत राशि जमा करनी होगी।
गाँव के प्रधान का काम
- गावों का विकास करना
- गाँव की सड़कों और खडंजो का निर्माण कराना
- पानी निकासी की व्यवस्था करना
- मंदिर और मस्जिदों की देखरेख करना
- बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य से सम्बंधित कार्यों की देखभाल करना
- महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सरकार द्वारा दिए जा रहे प्रोत्साहन राशि को उनके हित में खर्च करना
- बच्चों की शिक्षा के लिए काम करना
- गाँव की साफ़-सफाई करवाना
- गाँव के सभी समुदायों के दाह संस्कार के लिए व्यवस्था करना
- बच्चों के लिए खेल के मैदान की व्यवस्था करना
- गाँवों में शादी और बच्चों के जन्म का लेखाजोखा रखना
- राज्य तथा केंद्र सरकार द्वारा जारी योजनाओ को गाँव के हर व्यक्ति तक पहुंचाना
गाँव के विकास के लिए सरकार द्वारा कितना फंड (पैसा) मिलता है
गाँव के विकास के लिए मिलने वाला फंड गाँव के क्षेत्रफल और जनसँख्या पर निर्भर करता है। अगर गाँव छोटा है और आबादी कम है तो गाँव के विकास के लिए मिलने वाला फंड कम होगा। अगर गाँव की जनसंख्या ज्यादा तथा क्षेत्रफल ज्यादा है तो फंड भी ज्यादा मिलेगा।
अगर छोटा गाँव है तो 2 से 3 लाख का बजट एक साल में आता है। अगर कुछ अलग से आ गया तो यह बजट 5 लाख तक हो जाता है। बड़े गाँवों के लिए हर साल 10 से 15 लाख का बजट हो सकता है।
गाँव के विकास के लिए आने वाला पैसा
राज्य और केंद्र सरकार गाँव के विकास के लिए हर साल लाखो रूपये आवंटित करती है। इन पैसों से शौचालय, नाली, चकरोट और अन्य विकास संबंधी काम होते है। ग्राम सभा को 14 वित्त आयोग की तरफ से पैसे मिलते है। गांव के हर मतदाता के लिए 1130 रूपये मिलता है। इसमें मनरेगा, गरीबी उन्मूलन और अन्य योजनायें शामिल नहीं है। औसतन हर ग्राम पंचायत को हर साल 5 से 7 लाख रुपये मिलते है।
प्रधान की सैलरी
प्रधान का मानदेय 3,500 रूपये मासिक है। पहले यह 1000 था फिर यह 2500 रूपये हुआ अब उत्तर प्रदेश में प्रधान में हर महीने साढ़े तीन हजार मिलते है।
प्रधान को 5 साल पहले पद से हटाने का तरीका
अगर गाँव का प्रधान ढंग से काम नहीं कर रहा है या उसके खिलाफ कोई आरोप है तो उसे प्रधान के पद से हटाया जा सकता है। समय से पहले पद से हटाने के लिए एक लिखित सूचना ग्राम पंचायत राज अधिकारी को देनी होती है। इसमें ग्राम पंचायत के आधे सदस्यों के हस्ताक्षर होने जरूरी होते है। 1000 की आबादी वाले ग्राम पंचायत में कुल 10 ग्राम पंचायत सदस्य और 2000 की आबादी वाले गाँव में 11 और 3000 की आबादी वाले गाँव में 15 ग्राम पंचायत सदस्य होते है।
सूचना में पद से मुक्त करने के लिए सभी कारणों का उल्लेख होना चाहिए। कम से कम तीन ग्राम पंचायत सदस्य को ग्राम पंचायत राज अधिकारी के सामने उपस्थित होना जरूरी होता है। सूचना प्राप्त होने के 3 दिन बाद ग्राम पंचायत अधिकारी ग्राम सभा में एक बैठक बुलाएगा। इसकी सूचना 15 दिन पहले दी जाती है। बैठक में मौजूद दो-तिहाई सदस्यों के पूर्ण बहुमत से प्रधान को पद से हटाया जा सकता है।