भारत देश में वायु प्रदुषण हर साल लाखो लोगों को बीमार कर जाता है। वायु प्रदूषण के अनेक कारण है जिसका हल निकालने के लिए सरकार प्रयत्न कर रही है। पराली जलाने से लेकर सड़कों पर दौड़ने वाले गाड़ियों तक में सरकार ने संसोधन किया है। इस साल के बजट में वित्त मंत्री ने घोषणा की कि अब 15 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ियों को फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि इन पुरानी गाड़ियों से प्रदूषण बढ़ रहा है। भारत सरकार ने पुराने निजी और कमर्शियल गाड़ियों को सड़क से हटाने के लिए इस साल के बजट में ‘व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी’ की घोषणा की। आइये इस पॉलिसी के बारें में विस्तार से जानते है।
क्या है व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट में व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी की घोषणा की। इसके तहत 52 लाख पैसेंजर व्हीकल और 37 लाख कमर्शियल व्हीकल को फिटनेस टेस्ट से गुजरना पड़ेगा। इस पॉलिसी के तहत निर्धारित आयु पूरी कर चुके वाहनों को कबाड़ घोषित कर दिया जायेगा। स्क्रैप पॉलिसी पर हालांकि अभी शासन का आदेश नहीं आया है। आरटीओ अधिकारियों का कहना है कि अप्रैल 2021 से इस स्क्रैप पॉलिसी पर अमल शुरू हो सकता है। इसमें सरकार के निर्देश के अनुसार कबाड़ घोषित कर चुके वाहनों के मालिकों को नोटिस भेजा जायेगा।
स्क्रैप पॉलिसी में होने वाली कार्रवाई
स्क्रैप पॉलिसी के तहत अपनी कार को फिर से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए फीस को 15000 रूपये रखा गया है। इसके तहत कमर्शियल गाड़ियों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट को हर 6 महीने में रिन्यू करने और साथ ही फिटनेस सर्टिफिकेट की फीस को कई गुना बढ़ाने का प्रस्ताव है। जो वाहन स्क्रैप में जायेगा उसके बदले नए वाहन की खरीद पर जीएसटी में 50 से 100% तक की छूट मिल सकती है। इस स्क्रैप पॉलिसी को वैसे तो 15 साल पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए लागू किया गया है लेकिन इसमें 15 साल पुराने वाहनों को पूरी तरह से हटाया नहीं जायेगा बल्कि उनका हर साल रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा और इस रजिस्ट्रेशन की फीस दो से तीन गुनी ज्यादा कर दी गयी है। रजिस्ट्रेशन फीस ज्यादा होने से लोग पुरानी गाड़ी को बेचकर नई गाड़ी खरीदने का फैसला करेंगे। इससे अपने आप पुराने वाहन सड़कों से गायब हो जायेगे। परिणाम के स्वरुप फिर प्रदूषण में कमी आयेगी और ऑटो सेक्टर में छाई मंदी को मिटाया जायेगा।
स्क्रैप पॉलिसी में होने वाला फायदा
स्क्रैप पॉलिसी लागू होने पर अगर कोई 10 लाख की कार खरीदता है तो उसे 3 लाख रूपये का डिस्काउंट मिलने का अनुमान है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि नई कारों से प्रदूषण कम होगा साथ ही ऑटो इंडस्ट्री को भी इससे फायदा मिलेगा। अगर यह स्कीम लागू की जाती है तो इससे वातावरण में सुधार देखने को मिलेगा। हवा स्वच्छ होगी, लोग प्रदूषित हवा के बजाय साफ़ हवा में सांस ले पायेंगे। जिससे लोगों में फेफड़े संबंधी बीमारी को कम करने में मदद मिलेगी। इस योजना से तेल के आयात पर से निर्भरता कम होगी। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिलेगा। ऑटो सेक्टर में तेजी आने से देश की अर्थव्यवस्था में उछाल देखने को मिलेगा।