ये एक ऐसी संस्था हैं जो कि विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारियों और अधिकारीयों से सम्बंधित भ्रष्टाचारों के नियंत्रण के लिए इसकी स्थापना की गई है. केंद्रीय सतर्कता आयोग का गठन फरवरी में सन 1964 में की गई थी जिसका काम भ्रष्टाचार को रोकना था. इस आयोग की स्थापना बहुत ही उच्च सतर्कता संस्थान के रूप में की गई हैं जो कि किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियंत्रण से मुक्त है तथा केंद्र सरकार के आदेशानुसार सभी प्रकार की सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता है.
Central Vigilance Commission (CVC ) में Online कम्प्लेन कैसे करें
Step 1 Open Below URL
http://portal.cvc.gov.in/cvproject/
Step 2 Click on CITIZEN REGISTRATION TO LODGE A COMPLAINT
http://portal.cvc.gov.in/cvproject/citizenRegister
Step 3
CVC की साइट पर अपना अकाउंट बनाने के बाद आप पुनः http://portal.cvc.gov.in/cvproject/ जाकर लॉगिन कर के अपनी कम्प्लेन रजिस्टर कर सकते है |
Step 4
कंप्लेंट रजिस्टर होने के बाद आप http://cvc.gov.in/comp_stat_srch.asp यहाँ से Complaint Number Enter कर के चेक कर सकते है की आप के कम्प्लेन का स्टेटस क्या है
इस आयोग का विधेयक संसद के दोनों सदनों में वर्ष 2003 में पारित किया गया जिसे राष्ट्रपति द्वारा ११ सितम्बर २००३ को मंजूरी दी गई. इसमें एक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त होता है जो कि अध्यक्ष होता है और दो अन्य सतर्कता आयुक्त होते है जो कि दो से अधिक नहीं होते है. इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा गठित तीन सदस्यों की समिति द्वारा की जाती है जिसमे प्रधानमंत्री, लोकसभा के विपक्ष के नेता और केंद्रीय गृहमंत्री होते है.
केंद्रीय सतर्कता आयोग के पास स्वयं का सचिवालय, मुख्य तकनीकी परीक्षक खंड तथा एक विभागीय जांच आयुक्त खंड होता है.
अधिकार और कार्य
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत इस आयोग का मुख्य कार्य किसी भी लोकसेवक के भ्रष्टाचार में संलिप्तता की जांच करना है. इसके अलावा जिन लोकसेवको के विरुद्ध पहले से ही भ्रष्टाचार से सम्बंधित मामले चल रहे है उनकी जांच-पड़ताल करना भी इस आयोग का कार्य है. यदि साधारण शब्दों में कहा जाए तो इस आयोग की स्थापना ही प्रशासनिक भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए हुई है.
“यदि किसी भी आम नागरिक को सरकारी विभागों में किसी भी तरह की कोई भी परेशानी हो रही है या फिर कोई भी सरकारी अधिकारी बेवजह परेशान कर रहा है तो वह केंद्रीय सतर्कता आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है.”
सतर्कता आयोग अधिनियम २००३, के अंतर्गत इस आयोग के अधिकार एवं कार्य निम्नलिखित है:-
- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरों (सीबीआई ) के कार्यों की निगरानी करना जो कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा १९८८ के अधीन लोक सेवकों के अपराधों का अन्वेषण एवं जांच करता है.
- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरों (सीबीआई ) को अधीक्षण के लिए निर्देश देना है जो कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८ के अंतर्गत अपराधों की जांच करना है.
- केंद्र सरकार द्वारा आदेशित किये गए किसी सन्दर्भ की जांच करना अथवा अन्वेषण करवाना है.
- केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम २००३ की धारा ८ की उपधारा २ में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि किसी भी पदाधिकारी की भ्रष्टाचार में उसकी लिप्तता या उसके विरुद्ध शिकायत की जांच करना है.
- इस आयोग को जांच करते समय सिविल न्यायालय के सभी अधिकार प्राप्त होते है.
“आयोग के अध्यक्ष अथवा उसके सदस्यों को पदच्युत करने का अधिकार राष्ट्रपति को होता है”
निम्नांकित दशाओं में राष्ट्रपति आयोग के अध्यक्ष एवं उसके सदस्यों को पद से मुक्त कर सकता है:-
- यदि आयोग के अध्यक्ष एवं उसके सदस्य दिवालिया घोषित हो चुके है.
- यदि वह नैतिक चरित्रहीनता के आधार पर किसी अपराध में केंद्र सरकार की दृष्टि दोषी पाया गया है तो.
- अपने कार्यक्षेत्र के अतिरिक्त वह कोई अन्य लाभ का पद धारण किया हुआ हो जो कि आयोग की दृष्टि में अनुचित हो.
- शारीरिक या मानसिक कारणों से कार्य करने में अक्षम हो.
“केंद्रीय सतर्कता आयोग के सदस्यों को मिलने वाला वेतन, भत्ते व अन्य सेवा शर्ते संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के बराबर ही होता है. कार्यकाल के दौरान इनकी सेवाओं में किसी भी प्रकार का कोई भी ऐसा परिवर्तन नहीं किया जाता है जो कि इनके हित में ना हो”
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