भारतीय राजनीति का एक और बड़ा दुखद दिन, ऐसा रहा सुषमा स्वाराज का सफर

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पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज के निधन की खबर सुनकर पूरे देश में शोक की लहर है। बीजेपी ही नहीं, बल्कि विरोधी दलों के नेता भी सुषमा स्वाराज के निधन से स्तब्ध हैं ।

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज का मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में निधन हो गया । वह 67 साल की थीं, वह काफी वक्त से बीमार चल रही थीं। बीजेपी की कद्दावर नेता और एक मुखर वक्त के अलावा सुषमा स्वाराज का राजनीतिक जीवन शानदार रहा। पूर्व  प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद विदेश मंत्री बनने वाली वह दूसरी महिला थी।

सुषमा स्वाराज के निधन की खबर के बाद बार-बार लोग उनके आखिरी ट्वीट को पढ़ रहे हैं जो बेहद मार्मिक है । एम्स ले जाने से महज तीन घंटे पहले ही उन्होंने एक ट्वीट किया था। यह ट्वीट जम्मू-कश्मीर पुर्नगठन विधेयक के लोकसभा में पारित होने को लेकर था। उन्होंने इस विधेयक के पारित होने पर प्रधानमंत्री का आभार जताया था और जो पंक्ति लिखी थी ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें आभास हो गया हो कि वह इस  दुनिया को छोड़कर जा रही हैं। सुषमा ने ट्वीट किया था, ‘प्रधानमंत्री जी-आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।

प्रधान मंत्री जी – आपका हार्दिक अभिनन्दन. मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी. @narendramodi ji – Thank you Prime Minister. Thank you very much. I was waiting to see this day in my lifetime.— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) 6 August 2019

14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला कैंट में जन्मीं सुषमा स्वाराज के पिता हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अहम सदस्यों में शुमार थे। उनके माता-पिता का संबंध पाकिस्तान के लाहौर स्थित धर्मपुरा इलाके से था। अंबाला कैट के सनातन धर्म कॉलेज से उन्होंने संस्कृत और राजनीतिक विज्ञान की शिक्षा हासिल की, इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। युवावस्था से ही सुषमा स्वाराज एक अच्छी वक्ता रही हैं। हरियाणा के लैंग्वेट डिपार्टमेंट द्वारा आयोजित राजकीय प्रतियोगिता में उन्होंने लगातार तीन बार बेस्ट हिंदी स्पीकर का अवॉर्ड अपने नाम किया ।

एबीवीपी से शुरू किया पॉलिटिकल करियर

साल 1970 में सुषमा स्वाराज ने अखिल भारतीय विधार्थी परिषद (ABVP) से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया। उनके पति स्वाराज कौशल सोशलिस्ट लीडर जॉर्ज फर्नांडिस से जुड़े हुए थे और सुषमा स्वाराज साल 1975 में फर्नांडिस की लीगल डिफेंस टीम का हिस्सा बन गईं। इससे पहले 1973 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस शुरू की थी, जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में भी उन्होंने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था।

आपातकाल के बाद वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं और धीरे-धीरे पार्टी में उनका कद बढ़ता चला गया। जुलाई 1977 में वह देवी लाल की अगुवाई वाली जनता पार्टी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं। उस वक्त उनकी उम्र महज 25 साल थी। इस लिहास से वह विधानसभा की सबसे युवा सदस्य थीं। इसके बाद वह 1987 से 1990 तक हरियाणा की शिक्षा मंत्री भी रहीं। 27 साल की उम्र में सुषमा स्वाराज को जनता पार्टी (हरियाणा) का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया ।

राष्ट्रीय राजनीति में सुषमा स्वाराज का कदम

सुषमा स्वराज ने अप्रैल 1990 में राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा। उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया गया, 1996 में वह दक्षिणी दिल्ली क्षेत्र से सांसद चुनी गईं। उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया। अक्टूबर 1998 में उन्होंने केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन बढ़ती महंगाई के कारण बीजेपी विधानसभा चुनाव हार गई और सुषमा स्वाराज ने दोबारा राष्ट्रीय राजनीति में वापसी की।

मोदी सरकार में बनी विदेश मंत्री

नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सुषमा स्वाराज को विदेश मंत्री बनाया गया । पीएम मोदी की विदेश नीति को लागू कराने में उनकी अहम भूमिका रही। संयुक्त राष्ट्र में उनके भाषण की काफी तारीफ हुई थी, जिस्में उन्होंने पाकिस्तान को जमकर खरी-खरी सुनाई थी। सुषमा स्वराज 7 बार सांसद और तीन बार विधायक रहीं।

स्वराज कौशल से की शादी

13 जूलाई 1975 को सुप्रीम कोर्ट के वकील स्वाराज कौशल से सुषमा स्वराज ने शादी की, दोनों को करीब लाने में आपातकाल का बड़ा हाथ रहा। दोनों उसी दौरान एक-दूजे के करीब आए, दोनों की एक बेटी बांसुरी है, जिसने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।

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