आज के दौर में गठिया एक बड़ी समस्या बनती जा रही है| गठिया से बहुत लोग पीड़ित हो रहे हैं| गठिया आमतौर पर उम्र के बढ़ने से होता है| आज हम जानेंगे कि गठिया क्या होता है? और इसके क्या कारण हो सकते हैं| गठिया जिसे arthritis रोग के नाम से भी जाना जाता है| यह एक प्रकार का जोड़ों का दर्द होता है| इस रोग के अंतर्गत जोड़ों में बहुत ज्यादा दर्द उत्पन्न हो जाता है| इस रोग का प्रमुख कारण यह है, कि शरीर में यूरिक अम्ल बनना प्रारंभ हो जाता है तथा यूरिक अम्ल की अधिकता के कारण जोड़ों में दर्द उत्पन्न हो जाता है, तथा शरीर में सूजन भी रहती है| इस रोग को गठिया इसलिए भी कहते हैं क्योंकि जब यह रोग उग्र चरम पर होता है, तो यह शरीर के जोड़ों में गांठे उत्पन्न कर देता है| इस रोग को सामान्य बोलचाल की भाषा में वात रोग भी बोलते हैं| उन लोगों के सामान्य बीमारी हो जाती है, जिनकी उम्र 70 वर्ष के ऊपर हो चुकी होती है| इस बीमारी के अंतर्गत जोड़ों की हड्डियां collapsed हो जाती है, गठिया के कुछ लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं –
(a) कंधे पर हल्का हल्का दर्द रहना
(b) उठने बैठने में घुटनों में दर्द होना
(c) पैर के पंजों में दर्द रहना, हल्का सा भी चलने से पंजे में दर्द होना
(d) घुटनों के आसपास सूजन हो जाना पैर की उंगलियों में कभी-कभी सूजन हो जाना
गठिया रोग के प्रकार –
गठिया कई प्रकार के हो सकते हैं| जैसे- आस्टियो आर्थराइटिस, रूमेटाइड अर्थराइटिस तथा गाउट आर्थराइटिस| इसमें सबसे आम तौर पर आस्टियो आर्थराइटिस एवं रूमेटाइड अर्थराइटिस रोग है|
(a) ऑस्टियो आर्थराइटिस रोग उम्र बढ़ने के साथ-साथ होता है,और शरीर के जोड़ जैसे- उंगलियां, कूले, घुटनों तथा पैर के टखने आज को प्रमुखता से प्रभावित करता है| इसके होने की वजह कभी-कभी चोट लगना भी होता है| चोट की काफी समय तक रिकवरी से भी गठिया रोग होने की संभावना बढ़ जाती है|
(b) रूमेटाइड अर्थराइटिस तब होता है, जब शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र सही तरीके से काम नहीं कर रहा होता है| यह हड्डियों के साथ साथ आंतरिक अंग एवं अंग तंत्र को भी प्रभावित करता है|
गठिया रोग की दवा –
गठिया की दवा होम्योपैथिक में एवं आयुर्वेदिक दोनों में उपलब्ध है| जो कि इस प्रकार है| कुछ होम्योपैथिक दवाएं इस प्रकार हैं| जिनको डॉक्टर की सलाह से लेना चाहिए| इन दवाओं के लक्षण देखने के बाद ही लेना चाहिए| यह दवा डॉक्टर से परामर्श करने के पश्चात लेनी चाहिए|
गठिया की आयुर्वेदिक दवाएं इस प्रकार हैं-
(a) गठिया में सुबह सुबह खाली पेट लहसुन की एक या दो कली लेने से लाभ मिलता है
(b) पुनर्नवा की जड़ का पाउडर बनाकर भी सेवन करने से गठिया के रोग में अत्यंत लाभ मिलता है
(c) एलोवेरा का मुरब्बा या फिर उस का जूस प्रतिदिन सेवन करने से गठिया में से इसका असर बहुत ही जल्दी दिखाई देने लगता है
गठिया रोग की अचूक इलाज –
गठिया से बचने के लिए कुछ अचूक इलाज किए जा सकते हैं, जो कि इस प्रकार हैं| –
(a) जैतून के तेल की मालिश गठिया से प्रभावित अंग में करने से लाभ मिलता है
(b) गठिया के रोग के उपचार के लिए जामुन की छाल को पानी में उबाल ले, जब पानी की मात्रा आधी रह जाए तो उसका लेप जोड़ों में लगाने पर लाभ मिलता है
(c) हरसिंगार के छह से सात पत्तों को पीसकर एक गिलास पानी में उबालें तथा ठंडा होने पर इसका सेवन सुबह-सुबह खाली पेट करना चाहिए|
(d) गठिया की रोग से राहत पाने के लिए अपने आहार में हरी सब्जियां एवं सलाह अवश्य खाएं
(e) कैल्शियम युक्त सब्जियों एवं फलों का सेवन करने से गठिया रोग में लाभ मिलता है
गठिया का होम्योपैथिक इलाज –
गठिया अत्यंत ही भयंकर रोग है| क्योंकि इस रूप में जोड़ों में दर्द उत्पन्न हो जाता है| और चलने फिरने में समस्या उत्पन्न हो जाती है| जब व्यक्ति को इस बात की जानकारी होती है कि वह गठिया रोग से ग्रसित है, तो वह जीने की आस खो बैठता है, परंतु इस विज्ञान के युग में हर बीमारी का इलाज लगभग संभव हो गया है| गठिया का होम्योपैथिक इलाज आज के समय में संभव हो गया है| गठिया रोग के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाएं इस प्रकार हैं, जिनको डॉक्टर के परामर्श से देना चाहिए – कॉलिंग लैटविया, फेरम- मिकीरिका, डालकामारा इत्यादि |
गठिया का आयुर्वेदिक इलाज –
गठिया का इलाज आयुर्वेदिक विज्ञान में एकदम सटीक तौर पर उपलब्ध है| इसकी दवाओं से गठिया रोग में अत्यंत ही लाभ प्राप्त होता है| जो कि इस प्रकार हैं| –
(a) मेथी को रात में भिगोकर के अंकुरित होने पर सुबह सुबह खाली पेट सेवन करने से लाभ मिलता है|
(b) इसके अलावा हल्दी एवं मेथी के पाउडर का सुबह-शाम सेवन करने पर भी अत्यंत लाभ प्राप्त होता है|
(c) गठिया में एलोवेरा का जूस अत्यंत ही फायदेमंद होता है| इसको चार चार चम्मच सुबह खाली पेट लेने से लाभ मिलता है|
(d) मोथा घास की गांठों को सुखाकर उसे पीसकर पाउडर बना ले, तथा सुबह सुबह खाली पेट इसका सेवन करने पर गठिया रोग में लाभ मिलता है|
गठिया रोग में परहेज –
गठिया में यूरिक एसिड बढ़ जाने से हड्डियां विकृत आकार की हो जाती है| गठिया के बीमारी में कुछ परहेज रखकर एक खतरनाक बीमारी से पीछा छुड़ाया जा सकता है| इस रोग में कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए| –
(a) अल्कोहल एवं सॉफ्ट ड्रिंक जो कि यूरिक एसिड को बढ़ाते हैं, और शरीर से गैस एवं जरूरी तत्व जो कि शरीर से बाहर निकलने चाहिए, उनको निकलने नहीं देते हैं| इनको कभी भी ग्रहण नहीं करना चाहिए|
(b) इसके मरीजों को टमाटर बिल्कुल नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह गठिया के दर्द को और भी बढ़ा देता है|
(c) इस रोग में मछलियां या फिर जिस में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है, ऐसे भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए| क्योंकि यह शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को बढ़ा देता है और घटिया के लिए अत्यंत ही हानिकारक साबित होता है|