- बाबा राघव दास जी का जन्म 12 December 1896 को हुआ और 15 जनवरी 1958 को माँ भारती का यह सपूत ब्रम्ह्मा में विलीन हो गया , बाबा राघव दास को पूर्वांचल का गाँधी भी कहते है , इनके बचपन का नाम राघवेंदर था
- बाबा राघव दास जी के पिता श्री शेशप्पा और माता जी का नाम श्रीमती गीता था।, इनके पिता पुणे में एक प्रसिद्ध व्यवसायी थे
- 1913 में आई महामारी में इन्होने अपने माता पिता को खो दिया , इसी दुःख से व्यथित होकर इन्होने पुणे का अपना घर छोड़ दिया और पूर्वी उत्तर प्रदेश के तीर्थो काशी , प्रयाग , अयोध्या , मथुरा होते हुए ये पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर पहुंचे|
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गाज़ीपुर में बाबा राघव दास की मुलाकात मौनी बाबा से हुई , मौनी बाबा ने ही इन्हे हिंदी सिखाई और उसके बाद मौनी बाबा के कहने पर ये देवरिया के बरहज तहसील में प्रसिद्ध संत योगीराज अनन्त महाप्रभु से दीक्षा ली और उनके शिष्य बन गए
- 1921 में राघवेंदर की मुलाकात महात्मा गाँधी से हुई और गाँधी के कहने पर स्वतत्रता आंदोलन में कूद गए, और कई बार जेल भी गए , ये अपने आश्रम में स्वतत्रता सेनानियों को आश्रय देते थे
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1931 में नमक आंदोलन को सफल बनाने के लिए इन्होने ने कई जान सभाएं की, ये जनता के बीच में काफी लोकप्रिय थे, इनकी लोकप्रियाता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है की 1948 में हुए विधान सभा चुनाओं में इन्होने प्रख्यात शिक्षाविद्ध, समाजसुधारक एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आचार्य नरेन्द्र देव को हरा दिया था
- बाबा राघव दास जी ने अपना पूरा जीवन समाज की सेवा में लगा दिया , इन्होने जनता की सेवा के लिए कई सामाजिक संस्थानों की स्थापना की
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शहीदे आजम रामप्रसाद बिस्मिल के समाधि स्थल को पाचन दिलाने वाले बाबा रघुवर दास आज अपने ही क्षेत्र में उपेक्षित है , बरहज में इनकी प्रतिमा का उदघाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्रा गाँधी ने1969 में किया था जिसकी हालत आज बड़ी ही दयनीय है , बरहज नगर पालिका परिषद ने इनके प्रतिमा के निकट मछली बाजार का निर्मार्ण कराया है ,अहिंसा के पुजारी बाबा राघवदास की प्रतिमा के निकट प्रतिदिन हिंसा का खेल खेला जाता है। जानवरों के कटते समय खून के छींटे बाबाजी की प्रतिमा पर पड़ते है
- शहीदे आजम रामप्रसाद बिस्मिल के लिए इन्होने ने अपने आश्रम बरहज में समाधी बनवाए, बरहज में रामप्रसाद बिस्मिल की एक मात्र समाधि है।
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जब सरकार ने कोल्हू पर टैक्स लगाया तो इन्होने बिधानसभा से इस्तीफा दे दिया , और अंत में सरकार को अपना बिल वापस लेना पड़ा, बाबा राघव दास जी का मानना था की कोल्हू समाज का गरीब चलाता है। आज के नेताओं को बाबा राघव दास जी से प्रेरणा लेने की जरुरत है
- बाबा राघव दास जी के नाम पर कई संसथानो का नाम पड़ा
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बाबा राघवदास इण्टर कॉलेज, देवरिया
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बाबा राघवदास स्नात्कोत्तर महाविद्यालय, बरहज
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बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर
12 ष्ट्रीयता एवं आध्यात्मिकता के प्रतीक परमहंस आश्रम के द्वितीय पीठाधीश्वर बाबा राघवदास थे