ब्रोंकाइटिस का अर्थ
ब्रोंकाइटिस वायरल इन्फेक्शन है जो की 6 महीनों से लेकर सालों तक रह सकती है। ब्रोंकाइटिस में मरीजों को सूखी खांसी या बलगम के साथ होने वाली खांसी, साँस लेने में दिक्कत, कमजोरी और थकावट जैसे लक्षण नज़र आते हैं।
ब्रोंकाइटिस दो तरह के होते हैं – तीव्र और दीर्घकालीन। तीव्र ब्रांकाइटिस की बीमारी फ्लू या सर्दी–ज़ुकाम के होने के बाद पैदा होती है। इसके लक्षण हैं – बुखार, कभी कभी श्वास में दिक्कत होना या सीने में बेचैनी या वेदना। इस प्रकार की ब्रोंकाइटिस कुछ दिनों या हफ्तों तक रह सकती है।
दीर्घकालीन ब्रांकाइटिस के लक्षण हैं
माह के ज़्यादा से ज़्यादा दिनों, साल में तीन महीनों, और लगातार 2 सालों तक और किसी दूसरे कारण के अभाव में, बलगम वाली खांसी का जारी रहना।इस ब्रांकाइटिस के मरीज़ सांस की अलग अलग दिक्कतों को महसूस करते हैं और यह अवस्था साल के विभिन्न भागों में बदतर या बेहतर हो सकती है।
ब्रांकाइटिस के उपचार –
1. आजकल ब्रांकाइटिस की बीमारी बहुत ही तेज़ी से बढ़ रही है, और ज़्यादातर बच्चे इस बीमारी का शिकार तेज़ी से बन रहे हैं। दूध में 1 या 2 चमच्च शहद को मिलाकर पिलाने से ब्रांकाइटिस से काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है। अगर लगातार दूध में शहद मिलाकर पिलाया जाये तो खांसी बहुत ही जल्द दूर हो जायगी और दुबारा लौट कर नहीं आएगी।
2. एक गिलास दूध लें और उसमें हल्दी डाल कर उबाल लें और फिर इसे खाली एक चम्मच देसी घी के साथ दिन में 2 या 3 दिन बार लें। इस उपचार को हर रोज़ अपनाने से ब्रोंकाइटिस की एलर्जी धीरे धीरे खत्म होने लगेगी।
3. दालचीनी और सौंठ को एक सामान मात्रा में पीसकर उसका चुरा बना लें, फिर इस चूरे को एक चम्मच आधे ग्लास में घोलकर उबाल लें, और फिर एक ही सांस में इसे गर्म गर्म पी लें। ऐसा करने से भी ब्रांकाइटिस से जल्दी छुटकारा मिलेगा।
4. हरड और सौंठ का चुरा बनाकर अच्छे तरीके से घोल लें, और इस चूरे को आधा चमच्च 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर लें, इससे ब्रांकाइटिस से जल्दी ही राहत मिलेगी। 15 ग्राम गुड़ में 5 ग्राम सोंठ को मिलाकर एक माह तक लगातार सेवन करें।
5. शहद के दो चम्मच और अदरक के रस के 2 चम्मच को मिलाकर इसका सेवन करें। ऐसा करने से ब्रांकाइटिस से बहुत जल्द राहत मिलेगी। रोज़ाना 1 या 2 चम्मच आंवले के जाम या एक सेब का सेवन करने से भी ब्रांकाइटिस की राहत में बहुत मदद सिद्ध होती है।
6. लहसुन की दो या तीन कलियों को काट कर दूध में उबाल लें और रात को आप सोने से पहले इसका सेवन करें। यह एक अच्छा एंटीबायोटिक साबित होता है। इसमें एंटी वाइरल प्रदार्थ पाए जाते हैं। जितना ज़्यादा हो सके उतना इसे पियें। वहीं कैफीन और एल्कोहल का सेवन न करें क्योंकि इनसे यूरीन ज़्यादा होती है और शरीर का जल स्तर कम हो जाता है।
ब्रोंकाइटिस का इलाज –
1. बहुत सारा आराम करें।
2. दर्द को कम करने के लिए, सूजन को कम करने के लिए, और बुखार को कम करने के लिए दर्द निवारक दवा लें। एसिटामिनोफेन भी दर्द को कम करने में मदद करती है और बुखार को भी।
3. खांसी की दवा का प्रयोग करें अगर आपका बच्चा 6 वर्ष या उससे अधिक आयु का है।
4. बलगम वाली खांसी को रोकना नहीं चाहिए। इस तरह की खांसी आपकी ब्रांकाई को साफ़ करने में सहायक होती है।
5. अगर आप धूम्रपान करते हैं तो उसे छोड़ दें।
ब्रोंकाइटिस के मरीजों को धूम्रपान कभी भी नहीं करना चाहिए। उन लोगों से दूर रहना चाहिए जिन्हें सर्दी–ज़ुकाम हो। हर साल फ्लू का इंजेक्शन लगवाएं।निमोनिया का इंजेक्शन भी लगवाना चाहिए, खासकर 60 साल से ऊपर की उम्र वालों को। रोज़ाना रूप से हाथों को अच्छी तरह से धोएं, खासकर कुछ खाने से पहले। सर्द और प्रदूषण वाली जगहों से दूर रहें।