Capital of Liquor and History of Nashik city-शराब की राजधानी और नासिक शहर का इतिहास

शराब की राजधानी और नासिक शहर का इतिहास

शराब की राजधानी

महाराष्ट्र के राज्य में नासिक शहर है और इसे शराब की राजधानी भी कहा जाता है क्यों की यहाँ अंगूर की उत्पादन होती है।

इतिहास

शुरू में यह शहर सत्वहना राजवंश की राजधानी है। जब 16 वीं  सदी चल रही थी तो नासिक शहर मुगल शासन के अंदर गया था और उस समय पर इसे गुल्शानाबाद बोलै जाता था। इसके पश्चात नासिक पेशवाओं को मिल गया जो की 19 वीं में अंग्रेज़ों से हार गए थे। नासिक से ही मशहूर स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के जैसे ही रहे हैं। यह भी माना जाता है की 14 साल का वनवास काटने के बाद भगवान राम नासिक के पास एक  तपोवन नाम के स्थान पर रहे थे। और इसी स्थान पर भगवान लक्ष्मण ने शूर्पनखा की नाक काटी थी और फिर इसी वजह से इस स्थान का नाम नासिक डाला गया जो की एक नाक का ही दूसरा रूप है। नासिक की चर्चा कालिदास, वाल्मीकि ने भी उनकी कृतियों में की है।

आगे बढ़ने वाला शहर

आज नासिक शहर महाराष्ट्र में सबसे तेज़ी से आगे विकसित होने वाला शहर है। नासिक ने औद्योगिक, इंफ्रास्ट्रक्चर, और शिक्षा में बहुत ही विकास किया है|

आकर्षण

एक मुख्य तीर्थ आकर्षण है त्रिंबकेश्वर मंदिर जो की नासिक से कुछ किमी. ही दूरी पर है। एक और मंदिर है जिसे काला मंदिर कहा जाता है क्यूंकि यह काले पत्रों से बना है और अपने श्रद्धालुओं को बहुत पसंद आता है। यहाँ पंचवटी सीता गुफा भी है जिसका रामायण में वर्णन किया गया है। एशिया का अकेला सिक्कों का संग्रहालय भी है नासिक में। जो लोग सिक्कों के शौकीन होते हैं उनको यह जगह बहुत ही ज़्यादा भाएगी और यहाँ पर तो प्राचीन सदी के भी सिक्के उपलब्ध हैं। इसके पास ही में एक आर्टिलरी सेंटर है जो आप देख सकते हैं।

पूरे विश्व का सबसे विशाल मेला जो की कुम्भ मेला है वो इस क्षेत्र में व्यापक रूप से भरता है। कुम्भ का मेला चार सालों में सिर्फ एक ही बार होता है। बहुत बहुत दूर से लोग नासिक में इकट्ठा होकर अपना मनोरंजन करते है और खुशिया मनाते हैं। अंगूर के पैदा होने के लिए नासिक सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है की देश के पिता, महात्मा गांधी जी ने असहयोग आंदोलन नासिक से ही आरम्भ किया था जो की एक बड़ी सफलता के रूप में उभर कर आई। इसी तरीके को डॉ. बी. आर अम्बेडकर ने भी अपनाया और देश के सबसे निचली पांत के रूप में माने जाने वाले ‘अछूत’ के पक्ष में आंदोलन चलाया। नासिक शहर में तापमान अधिक रहता है।

मौसम

कोशिश करें की गर्मियों में नासिक की यात्रा न करें और ठंडी सर्दियों में ही इस शहर की यात्रा करें। जब मानसून का मौसम होता है तब भी इस शहर में एक बहुत ही अच्छा समय बिताया जा सकता है लेकिन अभी तो यह ज़्यादा बरसात के प्रेमियों के लिए बहुत ही सुखद स्थान बना हुआ है।

यातायात

नासिक शहर हमारे भारत देश के केंद्र में है तो इसीलिए यहाँ किसी भी कोने से आया जाया सकता है। अगर आप हवाई जहाज़ से नासिक आना चाहते हैं तो यहाँ का हवाई अड्डा बिल्कुल ही पास है। हैदराबाद, मुंबई, बंगलूर और पुणे जैसे शहर भी रेलवे नेटवर्क के द्वारा नासिक से जुड़े हुए हैं। नासिक एक मुख्य जंक्शन है। सड़क मार्ग से तो नासिक में बहुत सरे विकल्प मिल जाते हैं। निजी टूर ऑपरेटरों की बसों और  राज्य परिवहन की बसों से यात्रा करना बहुत ही किफायती है।

हमारे देश में नासिक एक मुख्य धार्मिक स्थान है और सांस्कृतिक रूप से हमारे देश के इतिहास में गहरी पैठ रखता है। पिछले समय से देखा जाये तो नासिक अब बहुत ज़्यादा विकसित हो रहा है और आधुनिकता के साथ पुरानी इतिहास का एक बेहतर संयोग है। नासिक शहर की यात्रा बहुत ही सुंदर और यादगार है और यहां से आप बहुत यादें संभाल कर वापिस ले जा सकते हैं।

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