हिंदुस्तान के दिल यानि दिल्ली पर शासन करने वाले अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के नाम हर कोई वाकिफ होगा ।पृथ्वीराज चौहान एक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने 13 वर्ष की आयु में ही अपने हाथों से शेर का जबड़ा फाड़ दिया था। इतना ही नहीं आंखें ना होने के बावजूद अपने शत्रु मोहम्मद गोरी को मौत के घाट उतार दिया था।
आज ज़ी क्लासिक पर Haqeeqat फिल्म का ये गीत सुनते हुए एहसास हुआ की हम 1962 की लड़ाई में कितने मजबूर थे , हमारे पास न तो हथियार था, न ही गोलियां, तोप और मोर्टार की बात करना उस कल्पना के सामान है की किसी भूखे को रोटी के साथ सब्जी और दाल मिल जाए, थी तो केवल एक चीज, वो था हौसला , हिम्मत और देश के लिए मर मिटने का एक विकल्प , वास्तव में बलराज साहनी ने सैनिक के अभिनय को मर कर भी जिन्दा कर दिया है ,