क्या आप अपनी नेतृत्व क्षमता में सुधार करना चाहते है? क्या आप आप अपने अंदर लीडरशिप (नेतृत्वकर्ता) के गुण विकसित करना चाहते है? अगर हाँ तो आपने जरूर कुछ ऑनलाइन पाठ्यकर्मो या टिप्स के बारें में पढ़ा होगा। अगर आप किताब के माध्यम से अपने अंदर लीडरशिप के गुण विकसित करना चाहते है तो हम आपके लिए एक किताब लेकर आयें है जिसे आप हिंदी में फ्री में डाउनलोड कर सकते है और लीडरशिप के महत्वपूर्ण तत्वों को जान सकते है.
यह किताब चाणक्य द्वारा दिए गए नेतृत्व के 7 मर्म के बारे में है। यह सर्वज्ञात है कि चाणक्य की नीतियां शासन और राजकाज में बहुत सटीक साबित होती है। कई इतिहास कार चाणक्य को विश्व इतिहास का ऐसा पहला व्यक्ति मानते है जिसने एक देश या राष्ट्र की अवधारणा का निर्माण किया। उनके द्वारा प्रतिपादित कुछ शिक्षाएं ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में रचित ‘कौटिल्य अर्थशास्त्र’ में संग्रहित है। अगर आप पुराने जमाने के चाणक्य द्वारा लिखित नेतृत्व से सम्बंधित नियमों को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं तो आप इसे अपने फोन या लैपटॉप में फ्री में पढ़ सकते है।
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किताब का नाम
इस किताब का नाम ‘चाणक्य नेतृत्व के 7 रहस्य’ है। यह राष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलर बुक के लेखर राधाकृष्णन पिल्लई द्वारा लिखी गयी किताब है। राधाकृष्णन पिल्लई ने ‘कारपोरेट चाणक्य’ भी लिखी है। यह किताब भी खूब बिकी थी। अगर आप ‘चाणक्य नेतृत्व के 7 रहस्य’ को डाउनलोड करना चाहते है तो आपको कुछ नहीं करना होगा। इसके लिए आपको इस पेज पर दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करना होगा। इसके लिए आपको कोई भी कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी। आपको बस नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करना होगा इसके बाद यह किताब अपने आप डाउनलोड हो जायेगी।
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चाणक्य नेतृत्व के 7 रहस्य
चाणक्य ने नेतृव के 7 रहस्य यानि की मर्म बतायें हैं, जो निम्न है:
1- स्वामी
2- अमात्य
3- जनपद
4- दुर्ग
5- कोष
6- दंड
7- मित्र
चाणक्य द्वारा बताये गए इन 7 मर्म को क्रमशः राजा, मंत्री, नागरिक, किला, राजकोष, सेना और सहयोगी के रूप में दर्शाया गया है। चाणक्य ने नेतृव के ये 7 मर्म जब बताये थे तो उन्होंने इसे एक खुशहाल राज्य की कल्पना करते हुए इन सातों नियमों का प्रतिपादन किया था। चाणक्य द्वारा लिखी अर्थशास्त्र की छठी पुस्तक के पहले अध्याय के पहले सूत्र में चाणक्य ने नेतृत्व के इस सूत्र का वर्णन किया है।
चाणक्य द्वारा लिखा गया श्लोक कुछ इस प्रकार था।
‘स्वामी, अमात्य, जनपद, दुर्ग, कोष, दंड , मित्र इति प्रकृत्य’’
अगर आधुनिक संगठनो में इन 7 मर्म को दर्शाया जाए तो स्वामी आधुनिक समय में नेता हो सकता है। अमात्य प्रबंधक को दर्शाता है। जनपद मार्केटिंग या ग्राहक को दर्शाता है। दुर्ग बुनियादी ढाँचे को प्रदर्शित करता है। वहीं कोष का तात्पर्य आधुनिक समय में वित्त से लिया जा सकता है। वहीं दंड को सामूहिक कार्य (टीमवर्क) तथा मित्र को सलाहकार और मार्गदर्शक के रूप में गिना जा सकता है।
इस किताब में विस्तारपूर्वक इन सभी सातों नियमों की व्यापक व्याख्या बहुत ही सरल शब्दों में की गयी है। हिंदी भाषी होने के नाते यह किताब आपको बहुत ज्यादा पसंद आयेगी।