चंद्रयान – 2 आज चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया है। 22 जुलाई को हुई लॉन्चिमग के बाद 7 सितंबर को चंद्रयान-2 चांद की सतह पर उतरेगा।
बता दें कि चंद्रयान-2 को 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरने की उम्मीद है। इसरो चीफ सिवन ने बताया कि चंद्रमा की सतह पर 7 सितंबर 2019 को लैंडर से उतरने से पहले धरती से दो कमांड दिए जाएंगे, ताकि लैंडर की गति औऱ दिशा सुधारी जा सके और वह धीरे से सतह पर उतरे। ऑर्बिटर और लैंडर में फिट लैंडिंग जोन का रियल टाइम असेस्मेंट उपलब्ध कराएँगे। लैंडर में नीचे लगा कैमरा सतह को छूने से पहले इसका आकलन करेगा और अगर किसी तरह की बाधा हुई तो उसका पता लगाएगा।
चंद्रयान-2 की सेहत और उसके मार्ग की निगरानी इसरो के तीन सेंटर्स कर रहे हैं। मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स (MOX), इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) और इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) ।
धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है। चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान तक जाएंगे। चाँद की सतह पर उतरने के 4 दिन पहले रोवर ‘विक्रम’ उतरने वाली जगह का मुआयना करना शुरू करेगा। लैंडर यान से डिबूस्ट होगा। ‘विक्रम’ सतह के और नज़दीक पहुँचेगा। उतरने वाली जगह की स्कैनिंग शुरू हो जाएगी और फिर 6-8 सितंबर के बीच शुरू होगी लैंडिंग की प्रक्रिया।
लैंडिंग के बाद 6 पहियो वाला प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से अलग हो जाएगा। इस प्रक्रिया में 4 घंटे का समय लगेगा। यह 1 सेमी प्रति सेकंड की गति से बाहर आएगा। 14 दिन यानी 1 लूनर डे के अपने जीवनकाल के दौरान रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर 500 मीटर तक चलेगा। यह चांद की सतह की तस्वीरें और विश्र्लेषण योग्य डेटा इकट्ठा करेगा औऱ इसे विक्रम या ऑर्बिटर के जरिए 15 मिनट में धरती को भेजेगा।