सूरत
गुजरात राज्य का सूरत अपने हीरों और वस्त्रों के लिए प्रसिद्ध है। इस चमक दमक और धूम शाम के पीछे ऐतिहासिक महिमा और महत्व है।
इतिहास
1990 में सूरत को सूर्यपुर नाम से जाना जाता था जिसका अर्थ है – सूर्य भगवान का शहर। उसके बाद सूरत में पारसी आकर रहने लगे। सूरत श्चिमी चालुक्य साम्राज्य का एक हिस्सा था जब तक कुतुबुद्यीन ऐबक ने हमला नहीं किया था। 1514 में ब्राह्मण गोपी ने सूरत के व्यापारियों को यहाँ रहने के लिए मना लिया था जिसके कारण मुख्य व्यापारी क्षेत्र का विकास हुआ।
सूरत की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सुल्तान ने एक दीवार बनवा दी जो आज भी मौजूद हैं। जहाँगीर, मुग़ल सम्राटों अकबर और शाहजहां के अधिकार के दौरान सूरत शहर व्यापर के लिए प्रमुख बंदरगाह के रूप में उभर कर आया था। यह देश का व्यावसायिक केंद्र बन चुका था और शाही टकसाल बनवायी गई। जब ब्रिटिश काल का राज था तब ईस्ट इंडिया कम्पनी के जहाजों ने इस बंदरगाह पर घूमना शुरू कर दिया था। व्यापर का एक ट्रांसिट प्वाइट बन चुका था
महत्वपूर्ण जगह
सूरत में देखने के लिए कुछ बहुत ही ज़्यादा महत्वपूर्ण जगह हैं जैसे – वीर नर्मद सरस्वती मंदिर, पारसी अगियारी, बिलिमोड़ा, चिंतामणि जैन मंदिर, नवसारी, मरजन शमी रोज़ा, सूरत महल, गोपी तालाब और नव सईद मस्जिद, उधवाड़ा, रांदेर और जामा मस्जिद। सूरत के ख़ास समुद्रतट हैं – सुवाली, नारगोल, तीथल, दुमस, और दांडी आदि। पूरे ही विश्व में सूरत कपड़ा और हीरा व्यवसायों के एक ख़ास क्षेत्र के
रूप में मशहूर है।
पूरी दुनिया के बाज़ारों में सारे हीरों के 92% हीरे पोलिश और काटे सूरत में ही जाते हैं। क्यूंकि सूरत में कड़ाई मशीनों की ज़्यादा मात्रा भारत में सूरत में ही तो इसीलिए इसे ’भारत की कढ़ाई राजधानी’ से भी जाना जाता है। इसे पुरे विश्व में एक वैश्विक अध्ययन के अनुसार सबसे जल्दी से आगे बढ़ते हुए शहरों में चौथी जगह पर रखा गया है। इन्हीं पहलुओं की वजह से यह गुजरात की कमर्शियल राजधानी है।
आज पूरी दुनिया के बाजार में सूरत ने अपना नाम जमा लिया है और आने वाले कल में बहुत ही महंगे और बड़े पत्थरों की फिनिशिंग में निहित है।
मौसम
अर्ब सागर के होने से सूरत की जलवायु कुछ ज़्यादा ही प्रभाव में है। इस शहर में जून के अंत से लेकर सितंबर के आखिर तक बहुत ही ज़्यादा मात्रा में बरसात होती है। गर्मियों का मौसम मार्च से आरम्भ होकर जून तक रहता है जिसमें अप्रैल और मई के माह में बहुत ही ज़्यादा गर्मी होती है। अक्टूबर और नवंबर के महीने के अंत में मौसम अनुकूल होता है। सर्दियों का मौसम दिसंबर से आरम्भ होकर फरवरी के खत्म होने तक रहता है।
बस सर्विस
सूरत शहर में एसएमएसएस बस सर्विस उपलब्ध है। ये बसों में ईंधन का प्रयोग होता है और यात्रा की हर सूचना के साथ एल ई डी स्क्रिब भी लगी होती है।
भाषाएं
सूरत में बोली जाने वाली मुख्य भाषाएं – मारवाड़ी, गुजराती, उडि़या, हिंदी, तेलुगु, सिंधी, और मराठी। 70% से ज़्यादा लोग सूरत में अप्रवासी हैं। यहाँ परासी और जैन के लोग भी रहते हैं। यहाँ के लोगों को सूरती कहलाया जाता है। अलग गुणों की वजह से सूरत के लोग हमेशा अलग दिखाई देते हैं।
व्यंजन
सूरत के मनन को भाने वाले व्यंजन – सूरती चाइनीज़, मिठाई लोछो, रसावला खमन और उंधियु।
पर्व
यहाँ पर्व बहुत ही धूम धाम से मनाये जाते हैं। नवरात्रि से शुरू होकर दीपावली, गणेश चतुर्थी और मकर संक्रांति, सभी सूरत शहर में बहुत ही लोकप्रिय हैं। सुरतियों का चंडी पाडवो भी एक लोकप्रिये पर्व है जो ज़्यादातर अक्टूबर के माह में शरद पूर्णिमा के एक दिन बाद ही आता है। इस पर्व पर सूरत के लोग व्यंजन खरीदते हैं। यहाँ पधारने पर आपको एक अलग ही अनुभ होगा।