एक खूबसूरत से प्राकृति के किनारे बसा एक खूबसूरत शहर जो लोगो को अपनी ओर आकर्षित करता है इसकी खूबसूरती एक सुन्दर प्रकृति का संग्रह है। इसी शहर में पिछोला झील के किनारे बसा एक खूबसूरत सा सिटी पैलेस जिसे महाराणा उदय सिंह ने 1559 इसबी में बनाने का काम सुरु करवाया था । महाराणा उदय सिंह ने और बहुत सरे महलो को जोड़ कर एक अनोखा महल बनबाया जिसका नाम सिटी पैलेस दिया गया। इस महल में जाने का पहला गेट हाथी पोल है, सुन 1725 में बड़ी पोल का निर्माण हुआ जिससे त्रिपोलिया गेट तक पहुंच सकते है एक रीती रिवाज के अनुसार इस गेट में परबेस करने से पहले पूर्व महाराणा को उनके बराबर के सोने चांदी में तोला जाता था जो आम जनता में बाट दिया जाता था
इस महल के सभी कछ सूंदर दर्सन टाइल्स और चित्रकारी से सजे हुए है।
महाराणा मुश्किल समय में सूरज गोखड़ा नमक जगह से गरीबो की फरियाद सुनते थे। इसके दीवार को अगद कहा जाता था यहाँ पे हाथियों की लड़ाई का खेल खेला जाता था। इस परिसर में एक एक जगदीश मंदिर भी है इस महल के मुख भाग को संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया जिसमे विशाल और अलग अलग प्रकार की कलाकृतिया सजी हुयी है। इस महल में एक शस्त्रागार संग्रहालय है जिसमे औजारों का विशाल संग्रह है इसी संग्रहालय में महाराणा प्रताप की दोधारी तलवारे राखी हुयी है।
सिटी पैलेस संग्रालय में गणेश द्वार है जिसका रास्ता शाही आंगन को जाता है जहा महाराणा रिषि मुनियों से मिल कर शहर की चर्चा करते थे और राज में होने वाले हर कामो का आकलन करते थे। सिटी पैलेस में ही इसथित मानक महल में कृष्ण विलाश में लघु चित्र का संग्रह है सूर्ज चौपड़ में एक बहुत हीं विशाल आभूषण जड़ित सूर्ज बना हुआ है जो सूर्ज वंश को दर्शाता है इसी महल में बड़ी महल बना है जिसमे पुरे सहर की सुंदरता का दृश्य नजर आता है। जानना महल में भी सफ़ेद आँगन उसकी खूबसूरती को निखार रहा है। सिटी पैलेस को अब सरकारी संग्रालय घोषित कर दिया गया है वर्त्तवन में संभु निवास राजपरिवार का निवास स्थान है। सिटी पैलेस देश की वो धरोहर है जिनकी चर्चा आज भी देश और दुनिया में खूब होती है।