भारत में ऐसा देखा जाता है कि लोग सोने की धातु को लेकर बहुत भावुक और आकर्षित होते हैं। लगभग हर घर में सोना पड़ा रहता है। लोग अपनी कमाई को जोड़-जोड़ कर सोना खरीदते हैं उसके गहने बनवाते हैं। यह सोना घरों में लम्बे-लम्बे समय तक रखा रहता है।
कभी-कभी ऐसा होता है कि जब सोने को बेचा जाता है तो गहने की वह कीमत नहीं मिल पाती है जितनी कि उसे खरीदा गया होता है। हाँ, ऐसा हो सकता है सोने के भाव बढ़ने से खरीदे गए दाम से ज्यादा पैसा समय के अनुसार मिल सकता है। लेकिन जैसा कि सभी जानते हैं कि सोना बढ़ता नहीं है। इसलिए बड़े-बड़े लोग सोने में निवेश नहीं करते हैं।
सरकार जनता से सोने का सदुपयोग करने के लिए एक योजना की शुरुआत की है जिसकी मदद से आप अपने घरों में पड़े सोने की मदद से अच्छा ख़ासा पैसा बना सकते हैं। इस योजना का नाम स्वर्ण मुद्रीकरण (जीएमएस) योजना है।
स्वर्ण मुद्रीकरण (जीएमएस) योजना क्या है?
सरकार की स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस) आपको भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा निर्धारित बैंक के साथ अपना घर पर पड़ा सोना जमा करने और उस पर ब्याज प्राप्त करने की सहूलियत देता है। सोने को लेकर चलाई गयी यह योजना बिल्कुल बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह काम करती है। जीएमएस में समय के अनुसार ब्याज मिलता है।
स्वर्ण मुद्रीकरण (जीएमएस) योजना कब लांच हुई
यह योजना सरकार द्वारा 2015 में लांच की गयी। इस योजना को लांच करने का सरकार का उद्देश्य लोगों द्वारा अपने घरों और बैंक लॉकरों में रखे निष्क्रिय सोने से पैसा कमाने में मदद करने का था। हालाँकि इस योजना को ज्यादा खरीदार नहीं मिले। ज्यादा खरीददार नहीं मिलने के कई कारण है।
स्वर्ण मुद्रीकरण (जीएमएस) योजना में कितना मिलता है लाभ
इस योजना के तहत अगर कोई अपना सोना बैंक में रखता है तो उसे सालाना 2.25 से 2.50% का लाभ मिलता है। उदाहरण के लिए अगर कोई 2 लाख रूपये का सोना रखता है तो उसे साल के अंत में 2.50% की ब्याज दर से 2 लाख 5 हजार रूपये मिल सकता है।
स्वर्ण मुद्रीकरण (जीएमएस) योजना की कुछ जरूरी बातें
इस योजना में हिस्सा लेने से पहले कुछ चीजें जान लेनी बहुत जरूरी हैं। जोकि निम्न है:
इस योजना के तहत जो भी सोना जमा किया जाता है अगर समय पूरा होने पर उसे ग्राहक वापस लेता है तो वह सोना उस रूप में नहीं मिलेगा जिस रूप में उसने सोना जमा किया होगा। उदाहरण के लिए अगर कोई अपनी चैन, अंगूठी या कान की बाली बैंक में जमा करता है तो उसे वापसी में ये चीजें नहीं मिलेगी बल्कि उन्हें सोने के सिक्के मिलेंगे। क्योंकि जब सरकार ग्राहकों से सोना लेती है तो उसे पिघलाकर सिक्के बना देती है। जो बाद में देश हित में काम में लाया जाता है।
इस योजना के तहत जो भी व्यक्ति सोना जमा करता है उस सोने की शुद्धता को बैंक जांच करता है। इसके हिसाब से ही उसे ब्याज दिया जाता है।
इस योजना का लाभ कोई व्यक्ति अकेला नहीं ले सकता है। आपको दो लोगों के साथ मिलकर एक स्वर्ण बचत खाता खोलना होगा तब जाकर आप अपना सोना जमा कर सकते हैं।
स्वर्ण मुद्रीकरण (जीएमएस) योजना में जमा हुए सोने का क्या होता है?
इस योजना के तहत जमा हुए सोने को पिछला लिया जाता है और उसके सिक्के या बिस्किट बना लिए जाते हैं। जिसे सरकार तेल खरीदने या महंगाई को कम करने में अमल में लाती है।
स्वर्ण मुद्रीकरण (जीएमएस) योजना में लोग क्यों नहीं करते हैं निवेश
चूँकि इस योजना में जमा किया हुआ सोना वापस उसी रूप में नहीं मिलता है इसलिए लोग इस योजना के तहत सोना नहीं जमा करते हैं। भारत में गहने को लेकर लोग बहुत भावुक होते हैं। इसलिए वे चाहते हैं कि बैंक में जो गहने जमा किये जाए वे उन्हें उसी रूप में मिले। जोकि इस योजना में नहीं होता है, इसी को लेकर यह योजना ज्यादा सफल नहीं हुई।
दूसरा यह कि घर में सोने के आभूषण रखने से कई लोगों को इमरजेंसी स्थिति में पैसे की समस्या से निपटने में मदद मिलती है। घर में सोना रहने से लोग उसे बेचकर पैसे की जरूरत को पूरा कर लेते हैं।
क्या स्वर्ण मुद्रीकरण (जीएमएस) योजना के तहत सोने को जमा करना सही है?
अगर आपने सोने को भविष्य में किसी उपयोग के लिए जैसे कि बच्चों की शादी आदि के लिए सोने के आभूषण खरीदे और बनवाएं हैं, तो बैंक में इस योजना के तहत न जमा करें क्योंकि बैंक में जमा करने से आपके आभूषण उस रूप में वापस नहीं मिलेंगे बल्कि सिक्के के रूप में मिलेंगे जिसे आपको फिर आभूषण बनवाना होगा।
इसके अलावा अगर आप समय से पहले सोना निकालते हैं तो आपको ब्याज न मिलकर आपको दंड के रूप में पैसे भी भरने होंगे।
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना से सम्बंधित प्रश्न और उत्तर (Gold Monetization Scheme related Q&A)
प्रश्न: स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के तहत कम से कम कितना सोना जमा कर सकते है?
उत्तर: पहले सरकार ने इस योजना के तहत सोना जमा करने की मात्र न्यूनतम 30 ग्राम रखी थी लेकिन योजना की विफलता को देखते हुए सरकार ने इस न्यूनतम मात्रा को घटाकर 10 ग्राम कर दिया है। अगर आप 1 तोले से भी कम सोना यानी की 10 ग्राम भी रखना चाहते है तो उसे आप बैंक में जमा करते है।
प्रश्न: कौन सा बैंक स्वर्ण मुद्रीकरण योजना का लाभ देता है?
उत्तर: यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया
प्रश्न: स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के लिए जब सोना जमा किया जाता है तो उसका क्या होता है?
उत्तर: इस योजना के तहत जब सोना बैंक में जमा किया जाता है तो उसे पिघला लिया जाता है। जिसे बाद में सोने के सिक्के या बिस्किट के रूप में ढाल लिया जाता है।
प्रश्न: स्वर्ण (गोल्ड) से पैसा कैसे कमाया जा सकता है?
उत्तर: अगर आपके पास सोना है और आप चाहते हैं कि आपको इससे पैसे मिले तो आप स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के तहत अपने सोने को बैंक में जमा कर सकते हैं और इस पर सालाना ब्याज पा सकते हैं।
प्रश्न: स्वर्ण मुद्रीकरण योजना में ब्याज दर को किस आधार पर तय किया जाता है?
उत्तर उदाहरण के लिए अगर ब्याज दर 1% है, तो यह 1 ग्राम प्रति 100 ग्राम के बराबर है। हालांकि लंबी अवधि और मध्यम सरकारी जमाओं के मामले में ब्याज की गणना रुपये के रूप में की जाती है, जिसकी गणना जमा के समय सोने के मूल्य को ध्यान में रखकर की जाती है।
प्रश्न: क्या क्या बैंक में सोना रखकर पैसा कमाया जा सकता है?
उत्तर: जी हाँ, बैंक में सोना आप ‘स्वर्ण मुद्रीकरण योजना’ के तहत जमा कर सकते हैं और सालाना ब्याज पा सकते हैं।
प्रश्न: स्वर्ण मुद्रीकरण योजना क्यों विफल हुई?
उत्तर: इस योजना में जमाकर्ता के द्वारा जमा किये हुए सोने को जस के तस वापस न मिलकर सिक्के और बिस्किट के रूप में मिलता है। इसलिए लोग अपने गहनों को इस योजना के तहत नहीं जमा करते हैं।
प्रश्न: स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के तहत कितना सोना जमा किया जा सकता है?
उत्तर: इस योजना के तहत सोना जमा करने की मात्रा अनलिमिटेड है। आप चाहे जितना मर्जी सोना इस योजना के तहत जमा कर सकते हैं।