नई दिल्ली। ज्यादातर ऐसा देखा गया है कि इंटरनेट कनेक्शन नहीं होने की वजह से डिजिटल पेमेंट या ट्रांजेक्शन में काफी दिक्कत होती है या ये प्रोसेस नहीं हो पाता है। हालांकि जहां एक ओर हम डिजिटल क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहे है तो वहीं दूसरी ओर सरकार इस समस्या का भी समाधान निकालने का भरसक प्रयास कर रही है। सरकार ने इसी मुहिम में एक नई सुविधा की शुरुआत की है। अब रिजर्व बैंक ने एक ऐसी सुविधा की शुरुआत की है, जिसके जरिए आप बिना इंटरनेट कनेक्शन के भी डिजिटल लेनदेन या डिजिटल भुगतान कर सकेंगे।
रिजर्व बैंक ने ‘ऑफलाइन’ यानी बिना इंटरनेट के कार्ड और मोबाइल के जरिये छोटी राशि के भुगतान की अनुमति दे दी है। इसके तहत एक बार में 200 रुपये तक के भुगतान की अनुमति होगी।
इस पहल का मकसद उन जगहों पर भी डिजिटल लेन-देन के लिए ग्राहकों को प्रोत्साहित करना है, जहां इंटरनेट से संपर्क की कनेक्टिविटी कम है। यानी लेनदेन के लिए इंटरनेट से सम्पर्क की जरूरत नहीं होगी।
बता दें कि केंद्रीय बैंक की अधिसूचना के अनुसार पायलट योजना के तहत भुगतान कार्ड, वॉलेट या मोबाइल उपकरणों या अन्य किसी माध्यम से किया जा सकता है। इसके लिये किसी अन्य प्रकार के वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं होगी।
हालांकि, अभी सिंगल पेमेंट के लिए अधिकतम सीमा 200 रुपये है लेकिन भविष्य में ये रकम बढ़ाई जा सकती है। फिलहाल, इसे पायलट योजना के तहत चलाया जाएगा, बाद में आरबीआई औपचारिक व्यवस्था स्थापित करने के बारे में निर्णय करेगा। पायलट योजना 31 मार्च, 2021 तक चलेगी।
आरबीआई ने कहा कि दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट का अभाव या उसकी कम गति डिजिटल भुगतान के रास्ते में बड़ी बाधा है। इसको देखते हुए कार्ड, वॉलेट और मोबाइल उपकरणों के माध्यम से ऑफलाइन भुगतान का विकल्प उपलब्ध कराया जा रहा है जिससे डिजिटल भुगतान को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
इसमें शिकायतों के समाधान की यह व्यवस्था नियम आधारित और पारदर्शी होगी। इसमें मानवीय हस्तक्षेप नहीं होगा या अगर होगा भी तो बहुत कम। इस पहल का मकसद विवादों और शिकायतों का समय पर और प्रभावी तरीके से निपटान करना है।