चेन्नई, जिसे की पहले मद्रास कहते थे, वह भारत में स्थित तामिलनाडु की राजधानी है। यह कास्मोपॉलिटन और मेट्रोपॉलिटन सिटी है। शिक्षा, व्यापार, अर्थव्यवस्था और संस्कृति की नज़र से देखें तो यह दक्षिण भारत के साथ ही देश का एक गणमान्य शहर है। असल में चेन्नई को दक्षिण भारत की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर पहचाना जाता है। चेन्नई शब्द तमिल के चेन्नापट्टनम शब्द से पैदा हुआ था। अंग्रेज़ों ने 1639 में सेंट जॉर्ज किले के पास इसी नाम से एक शहर की स्थापना की थी। जब इस शहर को 1639 में बेच दिया गया तो इसको चेन्नई से नाम से जानना जाने लगा। इसका इतिहास कुछ ज़्यादा ही फूलता—फलता दिखता है क्यूंकि यह दक्षिण भारत के कई साम्राज्य का जुड़ा हुआ हिस्सा है। राजनीतिक इतिहास जो की ब्रिटिश राज का था, उसकी चेन्नई में अधिक भूमिका रही, उपनिवेश काल से इसका आरंभ माना जाता है।
जब 1644 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी आई थी तब चेन्नई की तट पर सेंट जॉर्ज किले का निर्माण हुआ था। इसकी वजह से उन्हें फ्रांस के उपनिवेश की सेना और मैसूर के साम्राज्य के हमले से सहायता मिली। चेन्नई पर अंग्रेज़ों का पूरी तरह से कब्ज़ा था और इसे अपना मुख्य बंदरगाह बना लिया। जब 18वीं शदाब्दी खत्म होने को आई तो अंग्रेज़ों ने चेन्नई को अपना प्रेसिडेंसी बना लिया। अंग्रेज़ों के समय पर इसे मद्रास कहा जाता था। यह नाम मद्रासपट्टनम नामक गाँव से पैदा हुआ था। हालाँकि कुछ लोगों का यह भी मानना है की मद्रास शब्द मुंदिर-राज से पैदा हुआ है। कुछ लोगों का यह भी मानना है की मद्रास नाम पुर्तगालियों का प्रदान किया हुआ है, जो इस जगह को माडरे डी डियोस (मदर ऑफ गॉड) बोलते हैं। कारण चाहे जो भी, भारतीय सरकार द्वारा नाम परिवर्तन से पहले काफी समय तक चेन्नई को मद्रास के नाम से जाना जाता रहा था। मनोरंजन जैसे कि – शिल्प, नृत्य, कला, संगीत और भी बहुत सारे चेन्नई में प्रसिद्ध रहे हैं। काफी समय से चेन्नई शहर कुछ अलग तरह के कलाओं के संरक्षण पर कार्य कर रहा है। चेनाई में कारनॉटिक म्यूजिक लोगों की ज़िंदगी का न अलग होने वाला भाग है। यहाँ रहने वाले लोग मशहूर संगीतज्ञों से इसे सुनने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ते। इस शहर में हर वर्ष संगीत पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम मद्रास म्यूजिक सीजन करवाया जाता है। इस प्रोग्राम में पूरे ही भारत देश के बहुत ही ज़्यादा संख्या में कलाकार भाग लेते हैं। कारोल का गायन भी क्रिसमस के वक्त बहुत ही चर्चित होता है। जब दिसंबर होता है तो आप मॉल, चर्च, कॉलेज, स्कूल से आते वख इन मधुर आवाज़ों को सुनकर आनंद ले सकते हैं।
क्रिसमस शुरू होने के कुछ दिन पहले ही कुछ युवा मिलकर कारोल ग्रुप बनाते हैं और गली-गली जाकर गाते हैं। चेन्नई में हर वर्ष संगमम नामक त्यौहार का भी आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में पुरे ही तामिलनाडु के कला की झलक दिखती है। इस उत्स्व को हर वर्ष जनवरी में मनाया जाता है। चेन्नई में शास्त्रीय नृत्य का आयोजन भी बाकायदा रूप से किया जाता है क्यूंकि यह भरतनाट्यम का प्रमुख केन्द्र है। इस नृत्य का आरम्भ तामिलनाडु से हुआ था और यह देश के सबसे पुराने नृत्यों में से एक है। इस नृत्य को पूरी ही दुनिया में बहुत ही अच्छी चर्चा मिल चुकी है। जब 2012 में ओलंपिक्स हुआ था तब चेन्नई के पांच भरतनाट्यम नर्तकों ने भारतीय अभियान को प्रस्तुत किया था। चेन्नई कोल्लीवुड फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी जाना जाता है। यहाँ हर वर्ष बहुत ही फिल्म फेयर आयोजित किये जाते हैं, जिनमें न केवल भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों की फिल्में भी दिखाई जाती हैं। चेन्नई शहर में कुछ चर्चित स्टूडियो भी हैं जिनमे से प्रसिद्ध हैं – विजया वाहिनी, एवीएम स्टूडियो और जेमिनी स्टूडिया हैं। चेन्नई में घूमने का समय अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच का समय बहुत ही उचित है।
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