जहाँगीर का इतिहास – Interesting Facts About Mughal Emperor Jahangir

0
जहाँगीर का जन्म

जहाँगीर का जन्म

जहांगीर का पूरा नाम पूरा नाम नुरुद्दीन मोहम्मद सलीम था 1605 में जब उसने मुग़ल साम्राज्य की राजगद्दी  पे बैठा तब से सम्राट जहांगीर के नाम से जाना जाने लगा। जहांगीर का जन्म 30 अगस्त 1569 को हुआ था

जहाँगीर की माता का नाम

जहांगीर महान मुग़ल सम्राट अकबर और हिन्दू महारानी जोधाबाई के सबसे बड़े संतान थे।1599 में सब अकबर राज्य विस्तार में busy था तब एक विद्रोह शुरू हुआ  थी जिसमे जहांगीर की हार हुयी थी फिर भी 24 अक्टूबर 1605 को 36 साल की उम्र में जहांगीर ने राज सिहासन को सम्भाला और 22 वर्षो तक शासन किया इस दौरान उसने कई लड़ाईया लड़ी और मुग़ल साम्राज्य का विस्तार किया और बंगाल को भी मुग़ल साम्राज्य में शामिल कर लिया।

जहांगीर को भारतीय इतिहास में एक न्यायवादी सम्राट के रूप में याद किया जाता है  क्योंकि  वो हर किसी के साथ एक सच्चा न्याय करना चाहते थे जहांगीर ने अपने पिता की ही तरह एक विशाल साम्राज्य का निर्माण कर रखा था जिनके पास अपार सेना और मजबूत आर्थिक परिस्थिति थी।
जहांगीर के जीवन में एक बहुत की अहम् मोड़ आया। उनका प्यार अनारकली जिसे वो बहुत चाहते थे परन्तु ऐ प्यार उनके पिता सम्राट अकबर को बिलकुल पसंद नहीं था और अकबर ने इस दोनों को अलग करने के लिए बहुत उपाए किये लेकिन जहांगीर अनारकली की मुहब्बत में इस कदर पागल था की उसने अपने पिता अकबर के खिलाफ बगावत कर दी फिर भी अकबर नहीं माना और जहांगीर की हार हुयी। बादशाह अकबर ने अनारकली को दीवारों में चुनबा दिया इसतरह जहांगीर और अनारकली की मोहब्बत दम तोड़ दी।

जहांगीर के पांच बेटे थे खुसरो, खुर्रम, शहरयार, जहांदार

एक समय ऐसा भी आया था जब उसके बड़े बेटे खुसरो ने बगावत की तब जहांगीर के अपने बेटे को भी विश्वाघाती करार देते हुए उसे अँधा करा दिया।जहांगीर को इसलिए जी न्याय के लिए याद किया जाता है। उनके दरवार में जिस जंजीर से फांसी दिया जाता था उसे शहंशाह ने सोने की बनवायी थी जो आगरा के किले शाहबर्ज़ और यमुना तट पर इसथित पत्थर के खम्भे में लगबाई थी।

जहाँगीर जीवनसाथी

1611 इसबी में जहांगीर ने मिर्जा ग्यास बेग की बेटी मेहरुनिसा से शादी की और विवाह के बाद मेहरुनिसा को नूरजहाँ की उपाधि दी गयी।
जहांगीर का सम्बन्ध कई सारे हिन्दू राजाओं और राजपूतों से बहुत अच्छा था और वो सब के साथ रिश्तों को मजबूती बनाने की कोसिस करते थे। जहांगीर का दिल और उनकी दरियादिली का पुरे हिन्दोस्तानी राजा उनके दीवाने थे कई ने तो जहांगीर मुघल प्रभुता को अपना लिया था और अपने साम्राज्य को मुग़ल साम्राज्य में शामिल कर लिया था।

जहांगीर को कला और संगीत में बहुत रूचि थी उसने अपने साम्राज्य में कला का काफी विकाश किया था जहांगीर के शासन कल में मुग़ल शासको की पेन्टिंग पुरे देश और विदेशों में खूब चर्चित हुआ। उस समय दरवार में शामिल उस्ताद मंसूर की पेंटिंग बहुत महसूर थी।जहांगीर को पेन्टिंग के अलावा उसे जिव जंतु से बहुत लगाओ था इसलिए उसने कई प्राणियों का संग्रहालय बनबाया। जहांगीर बहुत दयायु राजा के साथ साथ वैज्ञानिक सोच का भी था उसने मुग़ल वैज्ञानिकों के दौरा दिव्य पिंड बनवाया था जहांगीर ने अपने साम्राज्य में विशेष धरोहर के रूप में कश्मीर का शालीमार बाग़ बनबाया था

जहांगीर के शासन काल में भी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के लिए कैप्टन हॉकिंस और सर टॉमस रो भारत आया था। जहांगीर सभी धर्मो का अनुआयी था उसने अपनी सेना को ऐ आदेश दे रखा था की वो किसी को जबरदस्ती मुस्लिम बनाने का दबाओ न डेल उसने जजिया कर को भी लगाने से मना कर दिया था। जहांगीर से दरवार में सभी धर्मो के लोगो को आने जाने की खुली छूट थी। बादशाह जहांगीर को कई बुरी लात थी जिससे उनकी खूब आलोचना होती थी। उनके बेटे खुरम को डर था की कही उनके हाथ से राजगद्दी न छिन जाये इसलिए उसने 1662 इसबी में जहांगीर के खिलाफ बगावत कर दी जहांगीर की सेना ने खुरम की सेना को विनाश करना शुरू कर दिया जब तक खुरम ने आत्मसमर्पण नहीं किया तब तक इस का प्रभाओ जहांगीर की जीबन में पड़ा और वो बीमार रहने लगा और और 1627 में उनकी मौत हो गयी। सम्राट जहांगीर प्राणी प्रिये शासक हीं नहीं बल्कि वो न्याय और वैज्ञानिक चमत्कारों के शोधकर्ता भी थे।

Comments

comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here