कितना फायदेमंद है आधार कार्ड के बाद अब यूनीक कार्ड

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गृह मंत्री अमित शाह ने एक ऐसे डिजिटल कार्ड का सुझाव दिया है जिसमें देश के नागरिकों की सभी जानकारियां एक साथ हो। दिल्ली में जनगणना भवन के शिलान्यास के दौरान अमित शाह ने यह सुझाव दिया था जिसमें भारतीय नागरिकों का डाटा जैसे आधार, पासपोर्ट, बैंक और ड्राइविंग लाइसेंस एक साथ रखा जा सकता है।

अपने भाषण के दौरान अमित शाह ने यह भी कहा था कि 2021 में होनी वाली जनगणना के लिए मोबाइल ऐप का इस्तेमाल किया जाना चाहिए जिससे जनगणना अधिकारीयों  को कागज और पेन कि आवश्यकता नहीं होगी। उस दौराण अमित शाह ने यह भी बताया कि ये प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जिसमें अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाए तो ये जानकारी जनसंख्या आंकड़े में जुड़ जाए।

आधार कार्ड को भी बैंक अकाउंट और अन्य सुविधाओं से लिंक किया गया था, इसके जरिए लोगों को यूनीक आइडेंटिफ़िकेशन नंबर दिया गया। इसी तरह से गृह मंत्री ने अब यूनीक कार्ड की बात की है जिसके जरिए लोगों को यूनीक कार्ड की बात की है जिसमें किसी व्यक्ति की सभी जानकारियां हों।

गृह मंत्री ने एक आइडिया दिया है लेकिन ऐसा कुछ भी करने से पहले इसके बारे में पूरी तरह से सोच विचार किया जाए। इसका प्रारूप क्या होगा इसकी विस्तृत जानकारी लोगों के बीच रखी जाए और लोगों से बातचीत की जाए कि उसके क्या परिणाम हो सकते हैं।

सरकार ने आधार में यूनिक आईडेंटिडी देने की कोशिश की थी तो हमने देखा कि उसमें किस तरह की चुनौतियां आई और अब सरकार यूनिक आईडी देने की कोशिश कर रही है। इसकी भी बहुत सारी चुनौतियां हो सकती हैं जिन्हें ध्यान में रखना होगा। जैसे आधार कार्ड की अनिवार्यता के बाद कई लोगों को राशन और पेंशन मिलना मुश्किल हो गया था।

अमित शाह के बयान के बाद केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पटना में एक कार्यक्रम में कहा है कि आधार कार्ड को ड्राइविंग लाइसेंस से जोड़ा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि इससे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में धोखाधड़ी रोकी जा सकेगी,

बीते साल सितंबर में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने आधार को संवैधानिक रूप से वैध क़रार देते हुए आधार को बैंक खाते और मोबाइल कनेक्शन से जोड़े जाने की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी।

नागरिकों की निजी जानकारियां लीक होने की चिंताओं के मद्देनज़र सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि नागरिकों की जानकारी को सुरक्षित रखने के पुख़्ता इंतज़ाम किए जाएं।

अब एकीकृत डिजीटल कार्ड का विचार पेश किए जाने के बाद नागरिकों की निजी जानकारियों की सुरक्षा का सवाल फिर से उठने की संभावना है।

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