(1) हाइड्रोसील कैसे होता है –
हाइड्रोसील नामक बीमारी पुरुषों में देखने को मिलती है| यह बीमारी अत्यंत ही घातक एवं खतरनाक होती है| यह बीमारी पुरुषों के वृषण को अपना शिकार बनाती है| इस बीमारी में पुरुषों के वृषण में पानी भर जाता है, पानी भर जाने के कारण पुरुषों के वृषण का आकार अनियमित हो जाता है| यह बहुत ही पीड़ादाई बीमारी होती है| इस बीमारी में मरीज का चलना फिरना, उठना बैठना आदि बहुत ही कष्टदाई हो जाता है| इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं| यह बीमारी सामान्यता किसी भी उम् के पुरुष को सकती है, परंतु प्राया यह बीमारी 35 साल से अधिक पुरुषों मैं ज्यादातर देखने को मिलती है| इस बीमारी के होने के कारण यह हो सकते हैं|
(a) वृषण में किसी प्रकार की चोट लगने से यह बीमारी का रूप धारण कर सकती है| यह चोट पर प्राया क्रिकेट, फुटबॉल खेलते समय या फिर असावधानीवश लग सकती है|
(b) जिम में गलत तरह से व्यायाम करने से भी यह बीमारी हो सकती है|
(c) बहुत ज्यादा भार वाला सामान उठाने से या शारीरिक परीक्षण करने से भी यह बीमारी हो सकती है|
(d) यह बीमारी ज्यादा शारीरिक संबंध बनाने से भी उत्पन्न हो सकती है|
(e) अधिक समय तक पेशाब रोक कर रखने के कारण भी यह बीमारी उत्पन्न हो सकती है|
(2) हाइड्रोसील से नुकसान –
हाइड्रोसील एक अत्यंत एवं घातक बीमारी है| यह पीड़ादाई होती है, तथा साथ ही साथ यह बीमारी मरीज के लिए समाज मैं बड़ी शर्म की बात भी बन जाती है| वृषण के अनियमित आकार में वृद्धि हो जाने से समाज के लोग उसके उस अनियमित अंग को देखकर जो प्रतिक्रिया देते हैं, वह अपने आप में बड़ी ही शर्म की बात प्रतीत होती है| लोग बाग इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को बड़ी हीन भावना से देखते हैं| इस बीमारी से बहुत अधिक नुकसान हैं| –
(a) हाइड्रोसील हो जाने से मरीज को कब्ज एवं उल्टी जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं| पाचन तंत्र अनियमित हो जाता है, तथा व्यक्ति कमजोर हो जाता है|
(b) हाइड्रोसिल के मरीज को शारीरिक संबंध बनाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है या फिर वह शारीरिक संबंध बनाने में समर्थ नहीं हो पाता है|
(c) हाइड्रोसील हो जाने से पुरुष में नपुंसकता भी आ सकती है|
(3) हाइड्रोसील का सफल इलाज –
हाइड्रोसील का इलाज आज के आधुनिक जीवन में जहां विज्ञान दिन प्रतिदिन कितनी वृद्धि कर रहा है, संभव हो गया है| इसका इलाज एलोपैथी, होम्योपैथी, तथा आयुर्वेद सभी के द्वारा संभव हो गया है| इस बीमारी के कुछ सफल इलाज इस प्रकार हैं| एलोपैथी में इस रोग से पीड़ित मरीज इसकी सर्जरी करवाता है| परंतु यह बहुत ही खर्च एवम समय व्यय करने वाला इलाज होता है| तथा दूसरा इलाज इसका ऑपरेशन करवा लेना है|
आयुर्वेदिक इलाज में कई प्रकार के लेप, योगासन उपाय को अपनाकर हाइड्रोसील से छुटकारा पाया जा सकता है| कुछ उपाय इस प्रकार की हैं –
5 ग्राम काली मिर्च और 10 ग्राम जीरा लेकर अच्छी तरह से पीस लें| तथा उसमें सरसों का तेल मिलाकर गरम कर लें| इसके पश्चात गर्म पानी मिलाकर बने हुए मिश्रण को पतला करने तथा बड़े हुए अंडकोष पर लगाने से अवश्य लाभ प्राप्त होता है|
(4) हाइड्रोसील का होम्योपैथिक इलाज –
आज के आधुनिक समय में हाइड्रोसील का इलाज होम्योपैथिक मैं भी बहुत आसान एवं सौ प्रतिशत कारगर हो गया है| विज्ञान की तरक्की से नए-नए तरीके एवं दवाओं को खोज कर निकाला गया है| जोकि हाइड्रोसील के मरीजों को लाभ पहुंचाते हैं| तथा उनको इस बीमारी से मुक्ति दिला रही है| हाइड्रोसील की होम्योपैथिक दवाएं यदि समय पर अच्छी तरह से शुरू कर दी जाए तो मरीज को सर्जिकल हस्तक्षेप और उससे उत्पन्न हुए दुष्प्रभाव से बचाया जा सकता है| कुछ होम्योपैथिक दवाएं इस प्रकार हैं –
(a) अर्निका और कोनियम – चोट लगने के कारण उत्पन्न हुई हाइड्रोसील के लिए मरीजों को दी जाती है|
(b) Berberis Vulgaris, Nux Vomica and clematis – दर्द एवं हाइड्रोसील के के लिए प्रभावी दवाएं हैं|
(c) Clematis and Rhododenron – हाइड्रोसील के लिए बहुत ही उपयुक्त दवाएं हैं| और भी दवाएं हैं, जैसे- Abrotanum, pulstatilla etc.इन दोनों को डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए|
(5) हाइड्रोसील का आयुर्वेदिक इलाज –
आयुर्वेदिक विज्ञान में भी हाइड्रोसील का सफल इलाज का वर्णन किया गया है| आयुर्वेदिक इलाज से एक बीमारी में लाभ मिलता ही मिलता है| साथ ही साथ अन्य दवाओं एवं उनके दुष्प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है| हाइड्रोसील की कुछ आयुर्वेदिक दवाएं एवं उनको लेने की विधि इस प्रकार है| –
(a) चंद्रप्रभा वटी, वृद्धिवाधिका वटी व पुनर्नवादी मंडूर की एक-एक गोली प्रयोग करें| छोटे बच्चों को चंद्रप्रभावटी की आधी-आधी गोली दे| बच्चों को दिन में दो बार तथा बड़ों को दिन में तीन बार यह गोलियां देनी चाहिए| हाइड्रोसील की बीमारी दूर हो जाती है|
हाइड्रोसील की बीमारी को दूर करने के लिए कुछ आसन भी कारगर हैं| जिनको अवश्य करना चाहिए|
(b) गोमुखासन – इस आसन में बाएं पैर नीचे और दाया पैर ऊपर रख कर बैठ जाएं| जिस पैर का घुटना ऊपर हो उस हाथ को कंधे के ऊपर से दूसरे हाथ को पीछे पकड़ ले| 2 मिनट इसी अवस्था में बैठे फिर दूसरी तरफ भी ऐसा ही करें|
(c) कपालभारती एवं प्राणायाम भी लाभदायक होता है परंतु इन दोनों आसनों को धीरे-धीरे करना चाहिए तथा सही तरीका अपनाना चाहिए|