स्वतंत्रता के बाद से ही भारत और चीन (India and China) के संबध बहुत मित्रतापूर्ण नहीं रहे है। हालाकि दोनों देश व्यापार हेतु एक दूसरे पर बहुत निर्भर है। कई बार चीन ने ऐसी हरकतें की है जिससे उसे भारत का मित्र नहीं बल्कि शत्रु कहा जा सकता जिनमें 1962-63 में दोनों देशों के मध्य हुआ युद्ध मुख्य है।
समय समय पर चीन द्वारा किये गये भारत विरोधी क्रियाकलापों से भारत एवं चीन के मध्य युद्ध की आशंका निरन्तर बनी रहती है, इसलिए दोनों देशों के सैन्य बल की तुलना आवश्यक हो जाती है।हमें एक बात माननी होगी की भारत की तुलना में चीन का रक्षा बजट तीन गुना है। प्राप्त जानकारी के अनुसार चीन का रक्षा बजट 2017 में 152 बिलियन डाॅलर है जहां भारत में इस वर्ष रक्षा बजट हेतु मात्र 53.5 बिलियन डाॅलर का प्रावधान है। इसके अलावा लडाकू विमानों, टैंकों अथवा सैनिकों की संख्या के मामले में भी चीन भारत से अव्वल है।
भारत और चीन की वायुसेना की तुलना (Airforce)
भारत की तुलना में चीन के पास कई अधिक लडाकू विमान है। चीन के पास जहां 2955 एयरक्राफ्ट है वहीं भारत में कुल एयरक्राफ्ट की संख्या 2102 ही है। इन एयरक्राफ्ट में चीन के पास फाइटर एयरक्राफ्ट 1271, एटेक एयरक्राफ्ट 1385 एवं 206 एटेक हेलिकाॅप्टर है। वहीं भारत में इनकी संख्या क्रमशः 676, 809, 16 मात्र है। परन्तु भारतीय लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआई चीन के सुखोई 30 एमकेएम से कहीं ज्यादा ताकतवर है।अगर नाभिकीय शस्त्रों की बात करें तो भारत के पास भारत के पास मात्र 130 नाभिकीय शस्त्र है जबकि चीन के पास इनकी संख्या 270 है।
भारत और चीन की थल सेना की तुलना (Militry)
भारतीय सेना में भर्ती होने वाले युवाओं की संख्या चीन से अधिक है लेकिन यदि सक्रिय सैनिकों की बात करें तो भारतीय सेना के सक्रिय जवानों की संख्या 1325000 है एवं चीन में कुल सक्रिय सैनिक 233500 है जो कि भारत की तुलना में बेहद अधिक है।
भारत और चीन की जल सेना की तुलना (NAVY)
भारत के पास छोटे-बडे 295 जहाजों की सम्पत्ति हैं जबकि चीन के पास इस प्रकार के कुल 714 जहाज है। चीन के पास एक एयरक्राफट कैरियर है जिसकी भारतीय सेना के पास संख्या 3 है। चीन के पास 35 विध्वंसक युद्धपोत हैं, जबकि भारतीय सेना में इनकी संख्या मात्र 11 ही है। नेवी की बात करते है तो महत्वपूर्ण हिस्सा है पनडुब्बियां; जिनकी संख्या चीन एवं भारत में क्रमशः 68 एवं 15 ही है। इसके अलावा फ्रीगाट जो एक विशेष लडाकू जहाज होता है, चीन के पास 51 एवं भारत के पास मात्र 14 हैं।
वर्तमान समय में चीन के डोकलाम विवाद पर पीछे हटने के बावजूद रक्षा विशेषज्ञों को आशंका है कि चीन इस प्रकार के विवाद फिर से कर सकता हैं। वैश्विक स्तर पर अपनी छवि खराब होने से बचाने के लिए चीन ने डोकलाम विवाद पर अपने पैर पीछे लिए। चीन की कथनी और करनी में प्रायः भेद देखने को मिलता है अतः चीन से भविष्य में भी सावधान रहने की आवश्यकता है।