दिमागी बुखार क्या है
जापानी इन्सेफेलाइटिस या दिमागी बुखार के कारण पूर्वी भारत में हर साल लग भाग 800 से 1000 लोगो को आकाल मृत्यु हो जाती है | इंसेफेलाइटिस का प्रकोप इस बात से समझा जा सकता है की पिछले 10 सालो में लगभग 60 से 70 हजार लोगो की मृत्यु हो चुकी है , जिसमे 80 % से ज्यादा ५ साल से कम उम्र के बच्चे है और दिमागी बुखार कारण कितने लोगो को लकवा मार गया है इसका कोई रिकॉर्ड ही नहीं है
सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार है यहाँ साल २०१३ में 1000 से ज्यादा लोगो की आकाल मृत्यू हुई है , जुलाई से दिसम्बर के बीच ज्यदा फैलती है यह बीमारी
सुअर (पिग) इस बीमारी का मुख्य वाहक और जनक होते हैं।PIG के ही शरीर में इस बीमारी के वायरस पैदा होते है और फलते-फूलते हैं, और फिर मच्छरों द्वारा यह वायरस सुअर से मानव शरीर में पहुंच जाता है। धान के खेतो में पनपने वाले मच्छर इंसेफेलाइटिस से प्रभावित होते है और फिर वो मानवके शरीर में पहुंचाते है |
जापानी बुखार (इंसेफेलाइटिस)के लक्षण और पहचान:
इसके शुरूआती पाचन कर पाना थोड़ा मुश्किल है , आकड़ो की बात कटे तो खाली 10% लोगो को ही बुखार, उल्टी , दास्त , बेहोशी आदि लक्षण दीखते है , इससे तकरीबन 50 से 60 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती और जो बचते है उनको शरीर के किसी भाग में लकवा मार देता है , या तो वो मानसिक रूप से बीमार हो जाते है , और उन्हें जिंदगी भर दौरे आते रहते है , इसमें अधिकाते १३ से २० साल के बच्चे होते है |
दिमागी बुखार से बचाव:
सबसे पहले हमें अपने घरो के आस पास साफ़ रखना हो गा , और ये सुनिश्चित करना होगा की कही गन्दा पानी न इकठा हो, और बच्चो को गंदे पानी, मच्छरों से बचा कर दूर रखना होगा , कुलरो को समय समय पर साफ़ रखना होगा या उसमे तुरंत कुछ बूंद मिट्टी का तेल या पेट्रोल डाल दें। ऐसा करने से मच्छरों के लार्वा मर जायेंगे।
जापानीज इन्सेफेलाइटिस वैक्सीन:
राष्ट्रीय विषाणु संस्थान (एनआर्इवी), भारत बायोटेक लिमिटेड और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओ के संयुक्त प्रयास से जापानी इन्सेफेलाइटिस दिमागी बुखार (जेई) का एक टीका विकसित किया था। 4 अक्टूबर 2013 को इस टीके की शुरूआत की गई। इसके पहलेदिमागी बुखार का टीका चीन से आयत किया जाता था। |
इंसेफेलाइटिस के मरीजों को अक्सर वेंटीलेटर पर रखने की जरुरत होती है ,इसलिए इन मरीजों को वही रखा जाता है जहा आधुनिक मेडिकल सुबिधाएं उपलब्ध हो , दुखद ये है की भारत में अस्पतालों आधुनिक सुबिधावो में भारी अभाव के कारण हर साल हजारो मरीजों को अकाल मृत्यु का सामना करना पड़ता है |