नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर के हालात को देखते हुए एक बड़ा हि ऐतिहासिक फैसला लिया है जिसे बीजेपी के वरिष्ट नेता अरुण जेटली ने कहा, “आज एक ऐतिहासिक गलती को ठीक कर दिया गया है।”
नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन विधेयक को पेश किया है। इसके तहत राज्य को दो हिस्सो में बाँटा जाएगा, जम्मू – कश्मीर एक राज्य होगा जबकि लद्दाख दूसरा राज्य होगा, दोनों राज्य केंद्र शासित होगे, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा गठित होगी लेकिन लद्दाख सिर्फ केंद्र शासित प्रदेश रहेगा ।
गूह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के लिए सोमवार को ऐतिहासिक बदलाव की पेशकश कि जिसमें अनुच्छेद 370 को खत्म करने का सिफारिश किया, इस बदलाव को राष्ट्रपति की ओर से मंजूरी दे दी गई है।
अनुच्छेद 370 के हटाने का प्रस्ताव पेश करते वक्त अमित शाह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि लद्दाख के लोगों की लंबे समय से यह मांग रही थी कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया जाए, ताकि यहां रहने वाले लोग अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें। साथ ही संसद मे अमित शाह ने कहा कि कश्मीर में ये गलत धराणा है कि अनुच्छेद-370 की वजह से कश्मीर भारत के साथ है। अमित शाह ने कहा कि कश्मीर भारत के विलय पत्र की वजह से है जिसपर 1947 में हस्ताक्षर किया गया था। अमित शाह ने यह भी कहा कि वोट बैंक की वजह से विगत दिनों में इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया, लेकिन हमारे पास इच्छा शक्ति है और हम वोट बैंक की परवाह नहीं करते हैं । अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने में एक सेकेंट की भी देरी नही करनी चाहिए साथ ही उन्होनें यह भी कहा कि वे इस मुद्दे पर बहस करने के लिए भी तैयार है।
इस प्रस्ताव को पेश करते ही सदन में विपक्षी नेता हंगामा करने लगे। घोषणा के बाद पीडीपी सांसद कपड़े फाड़कर बैठ गए और हंगामा करने लगे, यही नहीं कांग्रेस, टीएमसी और डीएमके के सांसदों ने भी सरकार की इस घोषणा पर खूब हंगामा किया। वही गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि बीजेपी ने संविधान की हत्या की है। इस प्रस्ताव को पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन बताया साथ ही भारत के इस फैसले को असंवैधानिक और अवैध कहा ।