नई दिल्ली।कोरोना प्रकोप के बीच अब देश में लॉकडॉउन को अनलॉक करने की कोशिश की जा रही है ताकि हमारी अर्थव्यवस्था को गति मिल सके। हमारी गाड़ी फिर से पटरी पर लौट सके। कोरोना संकट के बीच ठप हुईं कारोबारी गतिविधियों और काम छिनने के कारण लाखों प्रवासी श्रमिकों (Migrant Labourers) को गृहराज्य वापस लौटना पड़ा। अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। उनके सामने अपने परिवार की मूलभूत जरूरतें तक पूरी करने की चुनौती खड़ी हो गई है। ऐसे में खादी व ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) की नई परियोजना गांवों में रहने वाले लाखों बेरोजगार लोगों के लिए काम (Employment) की उम्मीद लेकर आई है। दरअसल, केवीआईसी ने ताड़ के गुड़ (Palmgur) और नीरा (Neera) का उत्पादन करने के लिए एक परियोजना शुरू की है। इस परियोजना के जरिये नीरा को सॉफ्ट ड्रिंक (Soft Drink) के विकल्प के तौर पर बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही आदिवासियों और गांवों में रहने वाले लोगों के लिए स्व-रोजगार का सृजन भी किया जाएगा।
केवीआईसी ने 200 कारीगरों को प्रशिक्षण के बाद बांटीं टूल किट
केवीआईसी ने ताड़ के पेड़ (Palm) से नीरा निकालने और गुड़ बनाने के लिए 200 कारीगरों को टूल किट (Tool Kit) बांटी। इससे पहले उन्हें इसका 7 दिन का प्रशिक्षण भी दिया गया। इस टूल की कीमत 15,000 रुपये है। टूल किट में फूड ग्रेड स्टेनलेस स्टील कढ़ाई, परफोरटेड मोल्ड्स, कैंटीन बर्नर्स व चाकू, रस्सी और नीरा निकालने के लिए कुल्हाड़ी जैसे उपकरण शामिल हैं। आयोग की इस पहल से 400 स्थानीय पारंपरिक ट्रैपर्स को रोजगार मिलेगा। बता दें कि नीरा सूर्य के उदय होने से पहले ताड़ के पेड़ से निकाली जाती है। इसे देश के कई राज्यों में पोषक स्वास्थ्य पेय के तौर पर पिया जाता है।
नीरा और ताड़ के गुड़ का ऑर्गेनाइज्ड मार्केट नहीं होने के कारण इनका व्यावसायिक उत्पादन व बड़े पैमाने पर मार्केटिंग शुरू नहीं हो पाई है। यह परियोजना केंद्रीय लघु, मध्यम व सूक्ष्म उद्योग मंत्री (MSME Minister) नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) की पहल पर शुरू की गई है। वह नीरा को सॉफ्ट ड्रिंक के तौर पर इस्तेमाल में लाने को बढ़ावा देने के लिए कुछ बड़ी कंपनियों को भी परियोजना में शामिल करने की संभावना पर काम कर रहे हैं। बता दें कि पूरे देश में ताड़ के करीब 10 करोड़ पेड़ हैं। इसके अलावा नीरा से कैंडी, मिल्क चॉकलेट, पाम कोला, आइसक्रीम जैसे उत्पादों की व्यापक श्रृंखला और पारंपरिक मिठाइयां भी तैयार की जा सकती हैं।
देशभर में होता है 500 करोड़ के गुड़ और नीरा का कारोबार
देश में इस समय 500 करोड़ रुपये के ताड़ के गुड़ और नीरा का कारोबार होता है। नीरा के व्यावसायिक उत्पादन के साथ इस कारोबार में कई गुना बढ़ोतरी हो सकती है। केवीआईसी ने नीरा और ताड़ गुड़ के उत्पादन पर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में प्रस्ताव रखा गया है कि नीरा का तय मानकों के आधार पर भंडारण, प्रसंस्करण और पैकिंग शुरू की जाए। इससे नीरा को फर्मंटेशन से बचाया जा सकता है। केवीआईसी के अध्यक्ष विनय सक्सेना ने बताया कि नारियल पानी की तर्ज पर हम नीरा को बाजार में उपलब्ध सॉफ्ट ड्रिंक के विकल्प के रूप में बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं।
यूपी-बिहार समेत इन राज्यों में खूब पाए जाते हैं ताड़ के पेड़
सक्सेना ने बताया कि नीरा उत्पादन में बिक्री और स्वरोजगार की काफी संभावनाएं हैं। ताड़ उद्योग को देश में रोजगार पैदा करने वाले कारोबार में तब्दील किया जा सकता है। साथ ही इसके निर्यात की भी काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि श्रीलंका, अफ्रीका, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और म्यांमार जैसे देशों में नीरा का लोग जमकर इस्तेमाल करते हैं। भारत में महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, दमन व दीव, दादर व नागर हवेली, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और बिहार के कई इलाकों में ताड़ बहुतायत में पाया जाता हैं।