सोन भंडार गुफा
बिहार के राजगीर में एक विशालकाय चट्टान से खोदी हुई सोन भंडार गुफा जिसे मगध के राजा बिम्बिसार के धन का द्वार माना जाता है। बता दें कि राजा को खजानों की जमाखोरी बहुत पसंद थी। वैसे सोन भंडार का शाब्दिक अर्थ ‘सोने के भंडार’ है। ऐसा कहा जाता है कि जब बिम्बिसार को उनके पुत्र अजातशत्रु ने कैद कर लिया था। यह (राजगीर) वही स्थान है जहाँ राजा की पत्नी ने उनके आदेश पर खजाना छुपाया था। इस खजाने को छिपाने के लिए राजा ने इस गुफा पर पत्थर लगवा दिया था।
बताया जाता है कि मौर्य शासक बिंबिसार ने इस गुफा में छिपे खजाने तक पहुंचने का रास्ता भी शंख लिपि में उकेरा हुआ है। इस गुफा के बाहर शंख लिपि में कुछ लिखा हुआ है। माना जाता है कि ये गुफा को खोलने का ही तरीका बताता है। लेकिन आज तक इस गुफा का दरवाजा कोई नहीं खोल सका है। ब्रिटिश शासकों ने भी तोफें चलवा कर इस पत्थर को हटवाने की कोशिश की थी। जिस वजह से उस पत्थर पर तोपों के काले निशान तो हैं, लेकिन वह अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ।
भिक्षु सांगला तेनजिंग ममी की 550 साल पुरानी ममी
यह बात तिब्बत से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लाहुल स्पिती के गीयू नामक गांब की है। जहां पर कहा जाता है कि 550 साल पुरानी एक संत की ममी मौजूद है, जो संत सांगला तेनजिंग की है। यह संत कई सालों से वहां तपस्या कर रहे है।
इतना ही नहीं, विशेषज्ञों ने इस ममी पर गहन परिक्षण किया है। जिसके बाद हैरान कर देने वाली बात सामने आयी है कि आज भी यह ममी बिना किसी लेप के जिवित है और कहा जाता है कि आज भी इस ममी के बाल और नाखून बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि वैज्ञानिक इसे ममी मानने से इंकार करते हैं।
कुलधरा का भूतीया गाँव
भारतीय राज्य राजस्थान के जैसलमेर में स्थित कुलधरा गांव एक भूतीया गांव है, जो बिल्कुल विरान है। इस गांव में दूर-दूर तक कोई इंसान नहीं रहता है। आज से करीब सौ साल पहले पालीवाल ब्राह्मणों का एक समृद्ध शहर हुआ करता था। लेकिन एक काली रात आयी और यहां रहने वाले 1500 निवासी गांव छोड़कर चले गए। आपको बताते हैं कि आखिर क्या वजह थी जो सभी निवासी गांव छोड़कर चले गए।
दरअसल, इस गांव की रियासत के दीवान सालम सिंह की बुरी नजर गांव के पुजारी की बेटी पर पड़ी, जिससे वह शादी करना चाहता था। लेकिन कहा जाता है ना कि एक लड़की गांव की इज्जत होती है। इसी बात पर कायम रहने वाले ब्राह्मणों ने उस लड़की को राजा की होने न दिया और रातों रात गांव छोड़ने का फैंसला ले लिया। सभी गांववासी गांव छोड़कर चले गए। गांव छोड़ते वक्त उन ब्राहमणों ने इस गांव को श्राप दे दिया और तभी से यह जगह श्रापित है।
यह भी कहा जाता है कि जो कोई भी गाँव में रहने की कोशिश करता है, उसकी क्रूर मौत हो जाती है और आज तक कुलधारा विरान बना हुआ है। इस श्राप का असर इतना ज्यादा है कि यहां परिंदें भी गांव की सरहदों में दाखिल नहीं होते।उस समय से अबतक ये गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में है। यहां आने वाले लोगों को इन शैतानी ताकतों का एहसास होता है।
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