नई दिल्ली। वैसे तो शिव की भक्ति में शिवभक्त हमेशा लीन रहते है लेकिन सावन के महीने में शिव के पूजा की महत्व और ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसा कह ले कि सावन के महीने में मंदिरो में भक्तों की लाइन लग जाती है। मान्यता यह भी है कि ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करना और पूजा अर्चना करना सावन में बहुत ही शुभ होता है। हिंदू आस्था में ऐसा भी कहा जाता है कि सावन में 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम लेने से ही पुण्य की प्राप्ति होती है। हर शिव भक्त की मनसा होती है कि वे सावन में ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करें। आज हम आपको भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों में से 11वें ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम की पवित्र कथा के बारे में बताने जा रहे है जो कि काफी रोचक है। रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को चार धामों में से एक माना जाता है। सावन के महीने में यहां देश के कोने- कोने से श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। इस ज्योतिर्लिंग का संबंध भगवान राम से है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने से पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी।
लंका जाने से पहले श्रीराम ने लिया था शिव का आर्शीवाद
पौराणिक कथा में इस बात को बताया गया है कि भगवान राम ने लंका पर विजय हासिल करने से पहले समुद्र के किनारे शिवलिंग बनाकर शिव की पूजा-अर्चना की थी। इस भक्ति से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने श्रीराम को विजय होने का आर्शीवाद दिया था।
मानव कल्याण के लिए यहां विराजे शिव
मान्यता यह भी है कि रामेश्वर में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान राम के कहने पर विराजे थे।मान्यता है कि जब भगवान राम ने भगवान शिव से लंका पर विजय का आर्शीवाद प्राप्त किया था तो राम ने भगवान शिव से इसी स्थान पर मानव कल्याण के लिए निवास करने का अनुरोध किया। भगवान शिव श्रीराम के इस अनुरोध को टाल नहीं सके और इसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।
राम ने बालू से शिवलिंग बनाकर की पूजा
दूसरी पौराणिक कथा में इस बात को बताया गया है कि यहां पर भगवान राम ने बालू से शिवलिंग बनाकर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की थी। कहा जाता है कि लंका जाने से पहले भगवान राम इस स्थान पर जलपान करने लगे तभी आकाशवाणी हुई कि मेरी पूजा किए बिना ही जल पी रहे हो। इसके बाद ही भगवान राम ने बालू से शिवलिंग बनाकर पूजा की।
मान्यता है कि रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग में जो भी इंसान सच्चे मन से आता है भगवान उसकी मनोकामना जरुर पूरी करते हैं। सावन महीने में इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने को और भी बहुत शुभ माना जाता हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां पर भगवान शिव की पूजा करने से बड़े से बड़े पापों से मुक्ति मिलती है।
रामेश्वरम कब घूमने जाये?
हालांकि सर्दियों का मौसम रामेश्वरम जाने का सबसे अच्छा टाइम है। लेकिन आप चाहें तो अक्टूबर से मार्च महीने के बीच रामेश्वरम जाने का प्लान बना सकते हैं। यह समय भी काफी सही है घूमने के लिए।
रामेश्वरम कैसे पहुंचे?
बता दें कि रामेश्वरम, चेन्नई से सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। …
रामेश्वरम में रेलवे स्टेशन है और अन्य नजदीकी रेलवे स्टेशन चेन्नई में स्थित है जिसका दक्षिण रेलवे में अच्छा और मजबूत नेटवर्क है। …
रामेश्वरम का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट मदुरई में स्थित है।
जानिए ज्योतिर्लिंगों के नाम
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग …
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग …
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग …
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग …
केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग …
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग …
विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग …
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग