Maharana Pratap History in Hindi Full (महाराणा प्रताप का जीवन परिचय)
महाराणा प्रताप का पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया था इनका राजतिलक १ मार्च १५७२ को हुआ इनके पिता उदयसिंह द्वितीय थे, प्रताप के उत्तराधिकारी महाराणा अमर सिंह थे, इस वीर पुरुष की माता का नाम महाराणी जयवंताबाई था, महाराणा प्रताप की पूरी जीवनी पड़ने के लिए नीचे दिए गए Download बटन पर क्लिक करे आप यहाँ पर प्रताप के जन्म से लेकर मृत्यु तक की पूरी कथा डिटेल में पढ़ सकते है, अगर आप को लिंक डाउनलोड करने में कोई समस्या आ रही है तो आप कमेंट बॉक्स में अपना नाम ईमेल id के साथ submit कर दे आप को PDF फाइल भेज दी जाएगी
मेवाड़ के सिसोदिया राजपूत एक नजर |
||
(1326–1884) |
शासन काल |
|
1 | राणा हम्मीर सिंह | 1326–1364 |
2 | राणा क्षेत्र सिंह | 1364–1382 |
3 | राणा लखा | 1382–1421 |
4 | राणा मोकल | 1421–1433 |
5 | राणा कुम्भ | 1433–1468 |
6 | उदयसिंह प्रथम | 1468–1473 |
7 | राणा रायमल | 1473–1508 |
8 | राणा सांगा | 1508–1527 |
9 | रतन सिंह द्वितीय | 1528–1531 |
10 | राणा विक्रमादित्य सिंह | 1531–1536 |
11 | बनवीर सिंह | 1536–1540 |
12 | उदयसिंह द्वितीय | 1540–1572 |
13 | महाराणा प्रताप | 1572–1597 |
14 | अमर सिंह प्रथम | 1597–1620 |
15 | करण सिंह द्वितीय | 1620–1628 |
16 | जगत सिंह प्रथम | 1628–1652 |
17 | राज सिंह प्रथम | 1652–1680 |
18 | जय सिंह | 1680–1698 |
19 | अमर सिंह द्वितीय | 1698–1710 |
20 | संग्राम सिंह द्वितीय | 1710–1734 |
21 | जगत सिंह द्वितीय | 1734–1751 |
22 | प्रताप सिंह द्वितीय | 1751–1754 |
23 | राज सिंह द्वितीय | 1754–1762 |
24 | अरी सिंह द्वितीय | 1762–1772 |
25 | हम्मीर सिंह द्वितीय | 1772–1778 |
26 | भीम सिंह | 1778–1828 |
27 | जवान सिंह | 1828–1838 |
28 | सरदार सिंह | 1828–1842 |
29 | स्वरूप सिंह | 1842–1861 |
30 | शम्भू सिंह | 1861–1874 |
31 | उदयपुर के सज्जन सिंह | 1874–1884 |
32 | फतेह सिंह | 1884–1930 |
33 | भूपाल सिंह | 1930–1947 |
Maharana Pratap and Akbar Fight in hindi (महाराणा प्रताप और अकबर का युद्ध)
हल्दीघाटी की लड़ाई 18 जून, 1576 ई. को हुई थी यह यूद्ध मेवाड़ और मुग़ल के मध्य हुआ था
महाराणा प्रताप के सेना नायक |
अकबर के सेना नायक |
महाराणा प्रताप | |
हकीम खाँ सूरी | मान सिंह I |
राणा पूंजा | स्येद हासिम |
डोडिया भीम | स्येद अहमद खान |
मान सिंह झाला | बहलोल खान |
मान सिंह बीड़ा | मुल्तान खान |
राजा रामशाह सिंह तोमर | काजी खान |
शालीवाहन सिंह तोमर | भोकाल सिंह |
कृष्णादास चुण्डावत | खोरासन |
चंद्रसेन राठौर | |
आचार्य राघवेन्द्र |
Maharana Pratap Height (महाराणा प्रताप हाइट)
महाराणा प्रताप का वजन (weight ) 110 KG था और उनकी लम्बाई Height 7 feet 5 inch थी
Maharana Pratap Horse (महाराणा प्रताप घोड़ा और भाला)
प्रताप का भाला 81 किलो , छाती का कवच का 72 किलो था, और 2 बड़ी – बड़ी तलवारे प्रताप के साथ यूद्ध में हमेशा रहती थी| भला, कवच और तलवार का वजन 2 कुन्तल से जयादा था जिसे लेकर प्रताप यूद्ध करते थे | प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में रखा है, प्रताप अपने साथ हमेशा दो तलवार इसलिए रखते थे एक अपने लिए और दूसरी निहत्थे दुश्मन के लिए
चेतक हवा से बातें करता था, प्रताप ने चेतक के सिर पर हाथी का मुखौटा लगाया जाता था.जिससे दूसरी सेना के हाथी कंफ्यूज रहें. चेतक ने हल्दी घाटी के यूद्ध में हाथी के सिर पर पैर रख कर छलांग लगाई थी , घायल प्रताप को लेकर चेतक ने 26 फिट चौड़े नाले के ऊपर से छलांग लगाई थी और प्रताप की जान बचाई थी, जिससे चेतक घायल हो गया था और अपने प्राण त्याग दिए थे जहा चेतक ने अपने प्राण त्यागे थे आज वह पर एक मंदिर है
Maharana Pratap Spouse (महाराणा प्रताप जीवनसाथी) :
महाराणा प्रताप ने राजनैतिक कारणों से 11 शादियां की थी
- महारानी अजब्धे पंवार :- अमरसिंह और भगवानदास
- अमरबाई राठौर :- नत्था
- शहमति बाई हाडा :-पुरा
- अलमदेबाई चौहान:- जसवंत सिंह
- रत्नावती बाई परमार :-माल,गज,क्लिंगु
- लखाबाई :- रायभाना
- जसोबाई चौहान :-कल्याणदास
- चंपाबाई जंथी :- कल्ला, सनवालदास और दुर्जन सिंह
- सोलनखिनीपुर बाई :- साशा और गोपाल
- फूलबाई राठौर :-चंदा और शिखा
- खीचर आशाबाई :- हत्थी और राम सिंह
Maharana Pratap Jayanti (महाराणा प्रताप की जयंती)
Maharana Pratap जन्म 9 मई, 1540 को हुआ था. हिन्दू पंचांग विक्रम सम्वत की माने तो उनकी जयंती हर साल ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि (third day of the Jyestha Shukla) को मनाई जाती है.
Maharana Pratap death cause (महाराणा प्रताप की मृत्यु कैसे हुई )
महाराणा प्रताप पर रिसर्च करने वाले डॉक्टर चन्द्रशेखर शर्मा ने अपने रिसर्च पेपर में बताया है कि प्रताप राजधानी चावंड में ही शिकार पर जाने की तैयारी कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने अपना धनुष निकाला और उसकी डोरी को खींचा। जिससे उनकी आंत में खिंचाव आ गया।और बाद में चावंड में राज वैद ने उनका पूरा उनका इलाज किया लेकिन 29 जनवरी 1597 को 57 वर्ष की आयु में आंत में आए खिंचाव के चलते एक महान योद्धा महाराणा प्रताप का निधन हो गया। महाराणा प्रताप की मृत्यु का समाचार सुन अकबर रो पड़ा था
Vaibhav Vinodsing Rajput
vaibhavpardeshi246@gmail.com
[…] […]