नई शिक्षा नीति 2020: इन Points के जरिए समझें नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को

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नई दिल्ली। बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy 2020) को हरी झंडी दे दी है। इसी के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय (HRD Ministry) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) कर दिया गया है।भारत में 34 साल बाद पहली बार नई शिक्षा नीति को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इसमें सरकार ने हायर एजुकेशन और स्कूली शिक्षा को लेकर कई अहम बदलाव किए हैं। वहीं एक अहम नियम उन छात्रों के लिए है जिनकी पढ़ाई किसी कारणवश छूट जाती है।

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आइए इन प्वाइंट्स के जरिए समझते हैं नई शिक्षा नीति के बारे में और जानते है क्या किए गए है बड़े बदलाव…
1. मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब नए कलेवर में शिक्षा मंत्रालय नाम से अवतरित हुआ है। अब केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक देश के शिक्षा मंत्री कहलाएंगे।
2. साल 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर (Gross Enrolment Ratio) के साथ माध्यमिक स्तर तक एजुकेशन फॉर ऑल का लक्ष्य रखा गया है।
3. शोध करने के लिए नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (एनआरएफ) की स्थापना की जाएगी। एनआरएफ का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालयों के माध्यम से शोध की संस्कृति को सक्षम बनाना होगा। एनआरएफ स्वतंत्र रूप से सरकार द्वारा एक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा शासित होगा। ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे। वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फ़ोरम (NETF) बनाया जा रहा है।

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4. स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठ्यक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है। इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है।
5. पढ़ने-लिखने और जोड़-घटाव गुणा भाग (गणना) यानी बुनियादी गणित पर ज़्यादा जोर दिया जाएगा। बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने को बुनियादी शर्त मानते हुए ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ की स्थापना पर जोर दिया गया है।
6. एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा। स्कूलों में शैक्षणिक धाराओं, पाठ्येतर गतिविधियों और व्यावसायिक शिक्षा के बीच ख़ास अंतर नहीं किया जाएगा।
7. नई शिक्षा नीति में पांचवी क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है। इसे क्लास आठ या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी। हालांकि नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा।
8. जीडीपी का छह फीसदी शिक्षा में लगाने का लक्ष्य, जो अभी 4.43 फीसदी है।

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9. छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी। इसके अलावा संगीत, ललित कला और परफॉर्मिंग आर्ट जैसे व्यक्तित्व विकास के माध्यमों को बढ़ावा दिया जाएगा। अब तक एक्स्ट्रा carricular activities वाली ये चीजें अब मुख्य पाठ्यक्रम का हिस्सा होंगीं।
10. उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा (लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर), यानी अब यूजीसी और एआईसीटीई समाप्त कर दिए जाएंगे और पूरे उच्च शिक्षा के लिए एक नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा।
11. उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसद GER (Gross Enrolment Ratio) पहुंचाने का लक्ष्य है। उच्च शिक्षा में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएंगी।
12. पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है। आप इसे ऐसे समझ सकते हैं। आज की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरिंग पढ़ने या छह सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो आपके पास कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफ़िकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। इससे उन छात्रों को बहुत फ़ायदा होगा जिनकी पढ़ाई बीच में किसी वजह से छूट जाती है।
13. उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं। जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा। जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे। जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी (PhD) कर सकते हैं। उन्हें एमफिल (M.Phil) की जरूरत नहीं होगी।

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14. नई शिक्षा का लक्ष्य 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ कराना है, लिहाजा अभी स्कूल से दूर रह रहे दो करोड़ से ज़्यादा बच्चों को दोबारा मुख्य धारा में लाया जाएगा।
15. इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी। यानी नई प्रणाली में प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा और तीन साल की आंगनवाड़ी होगी।

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