भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में शनिवार सुबह 10बजे नेशनल सिटिज़न रजिस्टर यानी एनआरसी की आख़िरी लिस्ट जारी हो चुकी है। इस लिस्ट में 19,06,657 का नाम शामिल नहीं हैं, आख़िरी लिस्ट में कुल 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है।
फाइनल लिस्ट को एनआरसी की वेबसाइट http://www.nrcassam.nic.in पर देखा जा सकता है।
असम के लोग राज्य सरकार के सेवा केंद्रों पर जा कर भी लिस्ट में अपना नाम देख सकते हैं।
राज्य के एनआरसी अध्यक्ष प्रतीक हजेला क मुताबिक़ जिन लोगों का नाम लिस्ट में शामिल नहीं है वो जरूरी कागज़ात जमा कर पाने में असफल रहे।
एनआरसी लिस्ट है क्या
आसान भाषा में हम एनआरसी को असम में रह रहे भारतीय नागरिकों की एक लिस्ट के तौर पर समझ सकते हैं। ये प्रक्रिया दरअसल राज्य में अवैध तरीको से घुस आए तथाकथित बंगलादेशियों के खिलाफ असम में हुए छह साल लंबे जनांदोलन का नतीजा है।
इस जन आंदलोन के बाद असम समझौते पर दस्तख़त हुए थे और साल 1986 में सिटिजनशिप ऐक्ट में संशोधन कर उसमें असम के लिए विशेष प्रावधान बनाया गया। असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजेंस को सबसे पहले 1951 में बनाया गया था ताकि ये तय किया जा सके कि कौन इस राज्य में पैदा हुआ है और भारतीय है और कौन पड़ोसी मुस्लिम बहुल बांग्लादेश से आया हुआ हो सकता है।
इस रजिस्टर को पहली बार अपडेट किया जा रहा है। इसमें उन लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर स्वीकार किया जाना है जो ये साबित कर पाएं कि वे 24 मार्च 1971 से पहले से राज्य में रह रहे हैं। ये वो तारीख है जिस दिन बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अलग होकर अपनी आज़ादी की घोषणा की थी ।
NRC लिस्ट में नाम नहीं आने से क्या होगा?
सिर्फ एनआरसी में नाम ना ने से कोई विदेशी नागरिक घोषित नहीं हो जाता। जिनके नाम शामिल नहीं हैं, उन्हें इसके बाद फ़ॉरेन ट्रायब्यूनल या एफटी के सामने काग़जों के साथ पेश होना होगा, जिसके लिए उन्हें 120 दिन का समय दिया गया है। किसी के भारतीय नागरिक होने या न होने का निर्णय फ़ॉरेन ट्रायब्यूनल ही करेगी। इस निर्णय से असंतुष्ट होने पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प मौजूद है। विदेशी नागरिक घोषित होने पर क्या होगा, इस पर फ़िलहाल सरकार की ओर से फ़िलहाल कोई अधिकारिक बयान नहीं दिया गया है लेकिन क़ानूनन उन्हें हिरासत में लेकर निर्वासित करने का प्रावधान है।