काल | 1178-1192 |
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पृथ्वीराज का राज्याभिषेक | 1178 |
पृथ्वीराज के पूर्वज | सोमेश्वर चौहान |
उत्तराधिकारी | हरिराज चौहान |
पिता | सोमेश्वर चौहान |
माता | कर्पूरदेवी |
पृथ्वीराजका पुत्र | गोविन्द चौहान |
पृथ्वीराज की रानियाँ |
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पृथ्वीराज की सन्तान | हरिराज, पृथा |
पृथ्वीराज का वंश | चौहानवंश(राजपूत) |
पृथ्वीराज जन्म | १२/३/१२२० भारतीयपञ्चाङ्ग के अनुसार, १/६/११६३ आङ्ग्लपञ्चाङ्ग के अनुसार पाटण, गुजरातराज्य |
पृथ्वीराज मृत्यु | ११/१/१२४९ भारतीयपञ्चाङ्ग के अनुसार, 11 मार्च 1192 (उम्र 28) आङ्ग्लपञ्चाङ्ग के अनुसार अयमेरु (अजमेर), राजस्थानराज्य |
धर्म | हिन्दुधर्म |
पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कहानी
पृथ्वीराज की वीरता और बहादुरी के चर्चें पूरे भारत में हो रहे थे , उनकी इस ख्याति से जयचंद ईर्ष्या रखता था, इसलिए पृथ्वीराज को अपमानित करने के लिए उसने अपनी पुत्री संयोगिता के स्वयंवर में जयचंद ने पृथ्वीराज को नहीं बुलाया, इसी दौरान कन्नौज में एक चित्रकार, बड़े-बड़े राजा-महाराजाओं के चित्र लेकर आया। पृथ्वीराज चौहान का चित्र देखकर सभी स्त्रियां उनके आकर्षण की वशीभूत हो गईं। जब संयोगिता ने पृथ्वीराज का यह चित्र देखा तब उसने मन ही मन यह वचन ले लिया कि वह पृथ्वीराज को ही अपना वर चुनेंगी।उसी चित्रकार ने जब संयोगिता को पृथ्वीराज का चित्र दिखाया तो पृथ्वीराज ने संयोगिता को पाने का निश्चय कर लिया, और वो संयोगिता को हर कर के ले गए, इस अपमान का बदला लेने के लिए जयचंद उनका शत्रु बन गया
जब संयोगिता और पृथ्वीराज प्रेम पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे थे, उसी समय जयचंद और मोहम्मद गोरी साथ मिलकर पृथ्वीराज को मारने की योजना बनाने लगा।
पृथ्वीराज ने मोहम्मद गोरी को 13 बार हराया था , अपनी इसी हार का प्रतिशोध लेने के लिए उसने जयचंद से मित्रता कर ली और दोनों ने मिलकर पृथ्वीराज को बंदी बना लिया
बंदी बनाते ही मोहम्मद गोरी ने वीर पृथ्वीराज की आँखे गरम सलाखों से जला दी और उनको कई तरह की शारीरिक यातनाये दी , इससे पहले मोहम्मद गोरी, पृथ्वीराज की हत्या करता उसने पृथ्वीराज से तीर चलने को कहा
पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु (Prithviraj Chauhan Death)
पृथ्वीराज के बचपन के मित्र चंदबरदाई उनके लिए किसी भाई से कम नहीं थे , राजकवि चन्दवरदाई के सलाह पर पृथ्वीराज ने तीरंदाजी का खेल खेलने का फैसला किया और मोहम्मद गोरी को पृथ्वीराज चौहान ने शब्द भेदीबाण से मार दिया , इस दृश्य को चन्दवरदाई ने क्या खूब कहा है
दस कदम आगे, बीस कदम दाए, बैठा है सुल्तान, अब मत चुको चौहान, चला दो अपना बाण
इतिहासकारो का कहना है की शत्रु के हाथ से मरने से अच्छा है किसी अपने के हाथ से मरा जाए। बस यही सोचकर चंद्रवरदाई और पृथ्वीराज ने एक-दूसरे का वध कर अपनी दोस्ती का बेहतरीन नमूना पेश किया।
पृथ्वीराज चौहान की पत्नी रानी संयोगिता की मृत्यु कैसे हुई
जब संयोगिता को पृथ्वीराज चौहान के मृत्यु के बात की खबर मिली तब वह भी एक वीरांगना की तरह सती हो गई।
bahut hi sundar kahani…hai mujhe prithaviraj ji ka pura jivan parichai vistar me chahiye..for my research work