प्रेम की ऐसी ज़िद, इंसानियत का ऐसा जज्वा, जूनून की वो मिसाल जो एक आम आदमी को माउंटन मैन बना दिया।
उन्होंने प्रेम के खातिर दीवानगी की वो मिसाल पेस की जिसे दुनिया देख कर दंग रह गयी। बिहार के गया जिला के गहलौर गांव में 1934 में दशरथ मांझी का जन्म हुआ था। एक ऐसा इंसान जिनके पास पैसे की ताकत तो नहीं थी पर कुछ कर गुजरने का ऐसा जूनून था की एक हथौड़ी और एक छेनी लेकर हीं 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काट के एक सड़क बना दिया। इस काम को करने में दिक्कते तो बहुत आयी किसी ने उन्हें पागल कहा तो किसी ने सनकी यहाँ तक की घर वालो ने भी शुरू में उनका बहुत विरोध किया पर अपनी धून के पके मांझी ने किसी की नहीं सुनी। रात दिन आंधी पानी किसी की चिंता किये बिना नामुमकिन काम को मुमकिन कर दिखाया।
दशरथ मांझी बहुत कम उम्र में घर से भाग गए थे और धनबाद के कोयले की खानो में उन्होंने काम किया। फिर वो घर लौट आये और फागुनी देवी से शादी कर ली कुछ दिनों बाद फागुनी देवी अपने लकड़ी काट रहे पति के लिए खाना ले जाते समय पहाड़ के दरों में गिर गयी और उनका निधन हो गया। अगर फागुनी देवी को अस्पताल ले जाया जाता तो शायद वो बच जाती। यही वो बात दशरथ मांझी को घर कर गयी और उन्होंने ठान लिया की मै इस पहाड़ को काट कर रास्ता बनाऊंगा। पत्नी के गम में टूटे मांझी ने अपनी सारी ताकत पहाड़ के सीने पर बार करने में लगा दी उनके इस कदम को आस पास के लोगो ने बहुत मजाक उड़ाए लेकिन उनकी दृढ सोच और खुद पे विसवास ने उन्हें जीत दिला दी। 22 साल के कठिन (1960-1882) मेहनत से वो कर दिखाए। मांझी के प्रयासो का जो मजाक उड़ाया गया पर उनके इस प्रयास ने गेहलौर के लोगो के जीवन को सरल बना दिया। गहलौर से वजीरगंज की दुरी जो 55 किलोमीटर थी घट कर 15 किलोमीटर हो गयी। गांव के बच्चो को स्कूल जाने में पहले 10 किलोमीटर जाना पड़ता था वो घट कर 3 किलोमीटर हो गयी। हॉस्पिटल जाने में पहले सारा दिन गुजर जाते थे वो अब 30 मिनट में ही पहुंच जाते है।
दशरथ माझी के इस काम से सिर्फ गहलौर हीं नहीं उसके आस पास के लगभग 60 गांव के लोग भी उस दशरथ मांझी पथ का इस्तेमाल करते है जिनसे उन्हें आने जाने में बहुत सुबिधा होती है। उनकी इन्ही उपलब्धि के लिए बिहार सरकार ने सामाजिक सेवा के छेत्र में 2006 में पद्म श्री हेतु उनके नाम का परस्ताव भी रखा गया। 17 अगस्त 2007 को 73 साल की उम्र में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नयी दिल्ली में पित्ताशय कैंसर से उनकी मौत हो गयी मांझी इस दुनिया को अलबिदा कह गए। अपनी जिंदगी के आखरी पड़ाव में उन्होंने अपने जीवन के ऊपर एक फिल्म बनाने का विशेष अधिकार दे दिया। ताकि पूरी दुनिया उनके संघर्ष पूर्ण जीवन को देख सके।
Dashrath Manjhi Quotes in hindi
22 साल के कठोर मेहनत करने वाले मांझी कहा करते थे की मैंने अपनी जीवन में हमेसा सकारात्मक काम किया और मेरा यही मंत्र रहा अपनी धून में लगे रहो।
21 अगस्त 2015 को उनके जीवन पे आधारित फिल्म मांझी द माउंटेन मैन प्रकाशित किया गया। हाल ही में 2014 में टीवी के प्रसिद्ध सो सत्यमेव जयते में आमिर खान ने दसरथ मांझी के बेटे भगीरथ मांझी और उनके बहु बसंती मांझी से मिले और फर्स्ट शो में दशरथ मांझी के जीवन को दिखाया गया।
https://youtu.be/qOZJszZkijY