आप सभी ने किन्नरों कॊ ट्रेन और शादियों में नाचते हुए ज़रूर देखा होगा ।पर आपक जानकर हैरानी होगी की सिर्फ 30% किन्नर ही पैदाइशी किन्नर होते है, बाकी के या तो अपने हाव भाव और स्वभाव की वजह से किन्नर बना दिये जाते है , या फ़िर कुछ लोग जानबूझकर किन्नर बन जातेहै। आइये दोस्तों हम आपको बताते है की किन्नर की पहचान कैसे होती है : वैसे तो सिर्फ देखकर बताना मुश्किल है की किन्नर पैदाइशी है कीनहीँ ।अगर लड़का पैदा होता है तो उसके योनि से पता लग जाता है की वह किन्नर है की नहीँ परंतु एक लड़की के पैदा होने पर पता लगाना मुश्किल होता है ।यह सिर्फ लड़की के बड़े होने पर ही पता लगता है।
अगर किसी घर कोई ऐसा लड़का होता है जिसके हाव भाव लड़कियाँ जैसे हो और जिनकी चमड़ी लड़कियों जैसे हो होता है तो किन्नर उन्हे किन्नर अपनी बिरादरी में लाने की कोशिश करते है।जो पैदाइशी किन्नर होते है उनके स्तन बहुत बड़े नहीँ होते ।जो किन्नर बनाए जाते है उनके स्तन बड़े होते है क्युकी इनके स्तन इंजेक्शन लगने की वजह से बड़े होते है । पैदाइशी किन्नर की योनि पर कोई कटने का निशान नहीँ होता जबकि जो किन्नर बनाये जाते है उनकी योनि पर कटने का निशान होता है क्युकी शुद्धीकरण ( इंसान कॊ किन्नर बनाना )के दौरान इनके गुप्तांग कॊ काट दिया जाता है जिससे कटने का निशान बन जाता है। आम तौर पर जब भी थर्ड जेंडर यानी किन्नरों की पहचान की बात आती है तो हम गुप्तांगों के बाहरी स्वरूप पर ध्यान देते हैं। अगर कोई बच्चा जन्मा और हमें पहचान करनी है कि वह नार्मल पुरुष है या महिला और उसके गुप्तांग भी नार्मल है तो इसके लिए हम डीएनए टेस्ट करवा सकते हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि व्यक्ति के गुप्तांग सामान्य होते हैं लेकिन आगे चलकर वे किन्नर यानी गे या लेस्बियन हो जाते हैं। अगर आप नवजात बच्चे के लैंगिंक स्वाभाव को जानना चाहते हैं तो इसके लिए DNA टेस्ट सबसे प्रभावी तरीका है। इस टेस्ट में आंतरिक अंगो की पहचान की जाती है।
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