इस पोस्ट में हम आपको सास बहु मंदिर से जुड़े खास तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। जैसे कि सास बहू का मंदिर कहां स्थित है? यह मंदिर किसके द्वारा बनवाया गया था? क्या इस मंदिर में कामशास्त्र पर आधारित मूर्तियां मौजूद हैं? आदि
चलिए अब जानते हैं कि आखिर सास बहु मंदिर से जुड़े खास 18 तथ्य कौन से हैं-
Fact 1- राजस्थान के उदयपुर शहर के बाहरी छोर पर अत्यंत कलात्मक और ऐतिहासिक मंदिर है, जिसे सास बहू मंदिर के नाम से जाना जाता है।
Fact 2-इस मंदिर का असली नाम सहस्रबाहु मंदिर है।
Fact 3-ग्यारहवीं सदी के आरंभ में बना ये मंदिर विकसित शैली और बेहतरीन अलंकरण के लिए जाना जाता है।
Fact 4-मंदिर का परिसर 32 मीटर लंबा और 22 मीटर चौड़ा है।
Fact 5-मंदिर का निर्माण कछवाहा वंश के शासक महिपाल ने करवाया था। वह भगवान विष्णु का भक्त था।
Fact 6-ऐसा कहा जाता है कि उसने ये मंदिर अपनी पत्नी और बहू के लिए बनवाया। इसलिए इसका नाम तभी से सास बहू का मंदिर है।
Fact 7-मंदिर ऊंचे जगत पर बना हुआ है। इसमें प्रवेश के लिए पूर्व में मकरतोरण द्वार है।
Fact 8-यह मंदिर पंचायतन शैली में बनाया गया है। मुख्य मंदिर के चारों तरफ देवताओं का कुल बसता है।
Fact 9- हर मंदिर में पंचरथ गर्भगृह, खूबसूरत रंग मंडप बने हैं।
Fact 10- सास बहू यानी सहस्रबाहु मंदिर मूल रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है।
Fact 11- हजार हाथों वाले देवता भी इसी मंदिर में हैं।
Fact 12- परिसर में दूसरा प्रमुख मंदिर शिव का है।
Fact 13- इन मंदिरों में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, राम, कृष्ण, बलराम सभी विराजते हैं।
Fact 14- प्रवेश द्वार पर मां सरस्वती की मूर्ति है। यह राजस्थान के अत्यंत प्राचीन मंदिरों में से एक है।
Fact 15- मंदिर की दीवारों पर अंदर और बाहर खजुराहो के मंदिरों की तरह असंख्य मूर्तियां बनी हैं।
Fact 16- इन मूर्तियों में कई कामशास्त्र से भी जुड़ी हुई हैं। कला प्रेमी इस मंदिर को घंटों निहारते हैं।
Fact 17- सास बहू मंदिर ने कई हमले झेले हैं। मंदिर का काफी हिस्सा हमले की भेंट चढ़ चुका है। फिर भी जितना हिस्सा बचा है, वह दर्शनीय है।
Fact 18- 1226 में इल्तुतमिश के हमले के दौरान पहली बार नागदा शहर और सहस्रबाहु मंदिर तबाह हुआ।
इस मंदिर तक कैसे पहुंचें?
- उदयपुर शहर से सास बहू मंदिर की दूरी 20 किलोमीटर है। यहां निजी वाहन से ही आना श्रेयस्कर है।
- उदयपुर से नाथद्वारा के मार्ग पर एकलिंगी मंदिर से तीन किलोमीटर पहले यह मंदिर स्थित है।
सास बाहु मंदिर के खुलने का समय क्या है?
- यहां सूर्योदय से सूर्यास्त तक दर्शन के लिए पहुंचा जा सकता है।
- कोई पूजा पाठ इस मंदिर में नहीं होता।
- मंदिर की कलात्मकता को निहारने के लिए हर रोज विदेशी सैलानी भी पहुंचते हैं।
उम्मीद करते हैं कि इस लेख में आपको हमारे द्वारा बताए गए सास बहु मंदिर से जुड़े तथ्य पसंद आए होंगे। हमें कमेंट करके जरूर बताएं।