आप सभी ने अपनी दादी नानी से रहस्यमयी धार्मिक किस्से कहानियों के बारे में तो सुना ही होगा। इस प्रकार की कहानियां आपके मन में घर कर लेती है, जिन्हें आप कभी भूल नहीं पाते हैं। सालों- साल आपको सुने हुए रहस्यमयी किस्से याद रहते हैं। ऐसे ही कुछ धार्मिक स्थानों से जुड़े हैरान कर देने वाले रहस्यमयी किस्से हैं, जिनके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे या फिर जानते भी होंगे। परन्तु यह बात सत्य है कि ये सभी किस्से आपको आश्चर्यचकित अवश्य कर देगें।
चलिए जाने हैं कि वो कौन से धार्मिक रहस्यमयी किस्से कहानियां हैं, जिनसे आप अभी तक अनजान हैं-
- एसे बिच्छू जो कभी काटते नहीं हैं –
आपको बता दें कि यूपी के अमरोहा में 13वीं शताबदी के सूफी संत सैयद हुसैन शर्फुद्दीन शाह विलायत नकवी की मजार है। ऐसा माना जाता है कि उस मजार के इर्द-गिर्ज कई जहरीले बिच्छू मौजूद रहते हैं, लेकिन वह कभी भी वहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को नहीं काटते हैं। आजतक उन बिच्छुओं का भक्तों को डसने वाला कोई भी किस्सा सुनने में नहीं आया है। लेकिन यह बात सच है कि बिच्छुओं को श्रद्धालू एक निश्चित समय के लिए ही अपने साथ घर ले जा सकते है। यदि भक्त ले जाए गए बिच्छुओं को तय समय के भीतर मजार पर वापिस न छोड़, तो वह उन पर हमला कर देते हैं।
- ऐसा चमत्कारी पत्थर जिसे सिर्फ 11 लोग उठा सकते हैं-
बता दें कि पुणे में हजरत कमर अली दरवेश की एक चर्चित दरगाह पर एक ऐसा करिशमाई पत्थर मौजूद है, जिसे पूरे 11 लोग ही मिलकर उठा सकते हैं। यदि इस पत्थर को 11 से कम या फिर 11 से ज्यादा लोग उठाने की कोशिश करते हैं तो यह नहीं उठ पाता है। यह भी बिल्कुल सच है कि इस पत्थर को जब पूरे 11 लोग मिलकर उठाते हैं, तो उन्हें इसके भार का जरा सा भी आभास नहीं होता है। इसके अलावा यहां पर एक ऐसा लैंप भी मौजूद है, जो काफी सालों से 24 घंटे जल रहा है।
- महादेव का वह मंदिर जहां दिन भर दिन नंदी का बढ़ रहा है आकार-
देशभर में भगवान शिव के कई चमत्कारी मंदिर मौजूद हैं, जिनमें से एक है यंगती मंदिर है। बता दें कि यह मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल में मौजूद हैं। इस मंदिर को लेकर एक किस्सा बहुचर्चित है कि यहां पर मौजूद नंदी की मूर्ति का आकार हर दिन बढ़ता जा रहा है। जिस वजह से प्रशासन को वहां पर मौजूद खंबा भी हटाना पड़ा था। इतना ही नहीं, श्रद्धालुओं का कहना है कि मूर्ति का आकार बढ़ने के कारण वो लोग नंदी की परिक्रमा नहीं कर पाता हैं। हालांकि, जब नंदी बैल की मूर्ति का आकार सामान्य था, उस वक्त सभी भक्त उनकी परिक्रमा किया करते थे।