देश में राष्ट्रीय शोक कि घोषणा के बाद राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है और अगर सरकार चाहे तो सार्वजनिक अवकाश की भी घोषणा कर सकती है।
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के मृत्यु पर बिहार, हिमाचल, उत्तराखंड और हरियाणा में राजकीय शोक घोषित किया गया था साथ ही दिल्ली के निगम बोध घाट पर उनकी राजकीय अंत्येष्टि की गई। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु के वक्त सारे देश में सात दिन के लिए राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था, अगर आधिकारिक प्रोटोकॉल की बात करें तो सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा केवल वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मृत्यु पर ही होता है।
सात दिन के लिए राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था, अगर आधिकारिक प्रोटोकॉल की बात करें तो सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा केवल वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मृत्यु पर ही होता है। इससे पहले राजीव गांधी (1991), मोरारजी देसाई (1995) और चंद्रशेखर सिंह (2007) भी ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री हैं जिनकी मृत्यु पद पर न रहते हुए हुई और उनके लिए राजकीय अंतिम संस्कार का आयोजन किया गया। जवाहर लाल नेहरू (1964), लाल बहादुर शास्त्री (1966) और इंदिरा गांधी (1984) भारत के ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिनकी मौत पद पर रहने के दौरान ही हुई।
किन लोगों के लिए घोषित किया जाता है राष्ट्रीय शोक
राष्ट्रीय शोक को लेकर सिफारिश की गई है कि इसे सिर्फ राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्रियों और पूर्व राष्ट्रपतियों के लिए अधिकृत किया जाना चाहिए। देश के इन गणमान्य व्यक्तियों के लिए सिफारिश की गई है कि इनकी मृत्यु होने पर ये मौजूदा प्रोटोकॉल के हकदार होंगे, जिसमें सेना द्वारा 21-बंदूक की सलामी और चार दिन के शोक की घोषणा की जाएगी। इन दौरान राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाएगा। 1997 में पांचवें वेतन आयोग की सिफारिश के आधार पर सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि सिर्फ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मृत्यु की स्थिति में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाएगा, लेकिन बाद में इसमें कई बदलाव किए गए। अब अन्य गणमान्य व्यक्तियों के मामले में, केंद्र विशेष निर्देश जारी कर सकता है। इसके साथ ही देश में किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा के वक्त भी राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाता है।
राष्ट्रीय शोक के वक्त क्या किया जाता है
- इंडियन फ्लैग कोड के अनुसार इस वक्त राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है।
- देश में और देश के बाहर स्थित भारतीय दूतावास और उच्चायोग में भी राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाता है।
- उस गणमान्य व्यक्ति के पार्थिव शरीर को तिरेंगे में लपेटा जाता है।
- मिलिट्री बैंड शोक गीत बजाते है और 21 बंदूकों की सलामी दी जाती है।
- सरकार चाहे तो सार्वजनिक अवकाश की भी घोषणा कर सकती है।